राष्ट्र निर्माण में एक अच्छी भूमिका जरूर निभायें : दीपक शर्मा (मंडोली सहायक जेल अधीक्षक )


ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले 
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है


आज ये लाईने यदि सार्थक होती नजÞर आती है तो सिर्फ दिल्ली की एक ही शख्सियत पर जिनका नाम है - दीपक शर्मा। जी हाँ वर्तमान में मंडौली सहायक जेल अधीक्षक हैं। इन्होंने दायित्वों को निभाते हुए अपनी मंजिल की ओर निरंतर अग्रसर होकर अपने मुकाम को हासिल कर लेना। और बाद में अपने शरीर को इतना बलिष्ठ किया कि वे आज अपने उसी बॉडी की वजह से पहचान बना चुके हैं। वे जहां से गुजरते हैं लोग उन्हें देखकर, कॉपी करते हैं, उनके जैसा बनना चाहते हैं। एक छोटी सी मुलाकात के दौरान 'आपकी सेहत' पत्रिका के संपादक 'तरूण कुमार निमेष' से मंडोली सहायक जेल अधीक्षक 'दीपक शर्मा' से हुई बातचीत के प्रस्तुत हैं कुछ प्रमुख अंश :-


दीपक जी सबसे पहले आपसे हमारा सवाल है कि आपने अपने कैरियर की शुरूआत कहां से की?


कैरियर की शुरूआत 2008 में भारतीय वायु सेना के रूप में हुई और उसके बाद 2009 में तिहाड जेल  बतौर सहायक जेल अधीक्षक ज्वाइन किया। 



आपकी प्राथमिक शिक्षा कहां से हुई और आपने जीवन के किस मोड़ पर अपने जीवन का लक्ष्य तय किया?


मेरी प्राथमिक शिक्षा दिल्ली के ही गुजराती समाज के स्कूल से हुई, उसके बाद मैंने रामजस कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन की, इसी दौरान में अपने जीवन का लक्ष्य भी तय किया था। 


दीपक जी आपकी सफलता और आज आप जिस मुकाम पर हैं उसने पाने के लिए आपने क्या किया और उसमें मुख्य भूमिका किसकी रही?


मेरी सफलता में मेरे परिवार की, मेरे दोस्तों की, मेरे साथ रहने वाले सभी लोगों की मुख्य भूमिका रही, सभी ने मुझे मोटिवेट किया, इस मुकाम हो हासिल करने के लिए मैंने बहुत मेहनत की। साल 2009 में जब मैंने तिहाड जेल बतौर सहायक जेल अधीक्षक ज्वाइन किया था उस समय में 8 से 10 घंटों तक पढाई करता था। 2016 से बॉडी बिल्डिंग कैरियर की शुरूआत की और कम्पटीशन भी खेल रहा हूँ। हाल ही में 5 मार्च, 2020 को पटना में आयोजित आॅल इंडिया सीविल सर्विस में 85 किलो. भार में गोल्ड मेडल हासिल किया।





 


दीपक जी आज आप जिस मुकाम पर हैं और आज लोग आपको जानते हैं, आप जैसी बॉडी बनाने की कॉपी करते हैं। यह देखकर आपको कैसा महसूस होता है?


लोगों का प्यार देखकर मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है, दूसरों के लिए एक इंस्प्रेशन बनना, बहुत ही बड़ी बात है, कुछ लोग जब आपकी तारीफ करते हैं, आपको कॉपी करते हैं, आपकी जैसा बनना चाहते हैं, ये सब देखकर अंदर से बहुत ही खुशी होती है। समाज में एक पॉजिटिव मैजेस देना, एक नेशन बिल्डिंग की तरफ जाना, ये सब देखकर बहुत अच्छा लगता है।


दीपक जी आपने आज तक अपने जीवन में जो तय किया और उसको पाने के लिए आपने दिन रात मेहनत की क्या अभी वह सपना अधूरा है?


मैंने अपने लक्ष्य को पाने के लिए दिनरात मेहनत की और आगे बढ़ता रहा, अभी भी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें मैं हासिल करना चाहता हूं, उनके लिए मैं निरंतर प्रयासरत हूँ।


आपको आपके परिवार से सबसे ज्यादा सपोर्ट और सहयोग किनसे मिला?


मुझे मेरे परिवार में से सबसे ज्यादा सपोर्ट मेरे बड़े भाई जोकि मेरे आदर्श भी हैं, भूषण कुमार शर्मा, जो पेशे से अध्यापक हैं, उनका सहयोग और सपोर्ट दोनों ही मुझे मिला।



दीपक जी तिहाड़ जेल से पहले आपकी पोस्टिंग कहां थी साथ ही सबसे पहले पोस्टिंग के बारे में भी बतायें।


मेरी सबसे पहले पोस्टिंग तिहाड जेल नम्बर 2 में रही और अभी मेरी पोस्टिंग मंडौली जेल नम्बर 15 में है जोकि हाई रिस्क प्रीजन है।


दीपक जी आपके जीवन के रोल मॉडल कौन है तथा आप किस शख्सियत की तरह बनना चाहते हैं?


मैं सलमान खान के जीवन से बहुत प्रभावित हूँ, वे सिर्फ एक अच्छे एक्टर ही नहीं, एक बहुत अच्छे इंसान भी हैं, बहुत अच्छी शख्सियत हैं।



अभी तक आपने जितने भी कार्य किए हैं उनमें से आपके लिए सबसे बेस्ट और सबसे अच्छा कार्य-अनुभव कौन सा रहा?


नौकरी में रहते हुए समय-समय पर बहुत सी जिम्मेदारियाँ मिली, जिनमें से अभी हाल ही में मुझे 20 मार्च को निर्भया कांड के दोषियों को हैंगगिंग का दायित्व मुझे सांैपा गया था। जो मेरे जीवन का बहुत बड़ा अनुभव था। निर्भया के दोषियों को फांसी देने में मेरे भूमिका रही, एक संतुष्टि का अनुभव हुआ, क्योंकि इस केस में, हमारे समाज के सभी लोगों की भावनायें जुड़ी हुईं थीं, मुझे इस काम को करके बहुत ही तसल्ली मिली, क्योंकि यह कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य था।


दीपक जी आप आने वाली पीढ़ी को कोई ऐसा संदेश देना चाहेंगी जिनसे वह प्रेरित हो सके।


आप सभी लोग अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें, अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करें और उसे पानी की हर एक कोशिश भी करें, नशे से दूर रहें, समाज सुधार में भी आप अपना योगदान देनी की कोशिश जरूर करें। राष्टÑ निर्माण में एक अच्छी भूमिका  निभायें।