मधुमेह के बारे में जानकारी पाना जरूरी


मधुमेह के रोगी को कुछ बातें सदा ध्यान में रख कर उपचार करना चाहिए। उसे अपने रोग का स्वयं डाॅक्टर बनना ज़रूरी है। तभी वह स्वास्थ्य लाभ पा सकता है और चुस्त दुरुस्त रहना संभव हो सकता है।



  • मधुमेह रोग को नियंत्रण में तो रखा जा सकता है किन्तु दमा तथा उच्च रक्तचाप की तरह इसे जड़ से नहीं मिटाया जा सकता। जहां परहेज में ढ़ील हुई, रोग पुनः बढ़ जाता है।

  • यदि अधिक पेशाब आए तो इसे मूत्रमेह कहते हैं। इस में शर्करा हो, तब यह मधुमेह रोग है वरना सर्दी, भीग जाना भी इस रोग के कारण हो सकते हैं। अधिक पानी पीना भी पेशाब में वृद्धि कर सकता है। यदि पेशाब तथा रक्त में  सामान्य से ज्यादा शर्करा हो तो यह मधुमेह है, अतः गंभीर हो कर बचाव की सोचें।

  • डाॅक्टरों का मानना है कि 65 प्रतिशत मधुमेह के रोगी खानपान में सुधार कर, कुछ परहेज़ कर रोग को नियंत्रित रख सकते हैं। उनका कहना है कि 15 प्रतिशत रोगी भोजन पर नियंत्रण रखने के साथ मधुमेह की दवाएं भी लें, तभी रोग काबू में आ सकता है। शेष 20 प्रतिशत रोगियों को इंसुलिन लेना आवश्यक है। 

  • मोटापा कम करने, वसा घटाने, जामुन खाने, लहसुन का प्रयोग करने, करेले का उपयोग करने, मेथी का सेवन करने, रेशेदार पदार्थ खाने से इस रोग को नियंत्रण में रख सकते हैं।

  • सोयाबीन, करेला, खमीर, उड़द, नींबू, शलगम, मूली, ककड़ी, खीरा, सलाद, पालक, साग आदि भी रोग को शांत रखने में मदद करते हैं।




  • रेशेदार खाद्य में क्रोमियम की पर्याप्त मात्रा रहती है। मैदा जैसे बारीक अनाज इसे नष्ट कर देते हैं जिस कारण से भी यह रोग बढ़ सकता है। अतः रेशेदार चोकर वाला अनाज तथा फल सब्जियां खाएं।

  • मधुमेह के रोग को लहसुन शांत करता है। इसको पीसकर, रस निकाल कर, या अच्छी प्रकार चबाकर खा सकते हैं। तुरी निगलें नहीं। 

  • मधुमेह पैतृक रोग नहीं। हां, यदि माता या पिता को यह रोग हो और उसी दरम्यान गर्भधारण हो, तब यह रोग शिशु में भी आ सकता है जिसे ठीक करना काफी कठिन होता है।

  • लहसुन में पोटेशियम, जिं़क, सल्फर, मैंगनीज़ जैसे तत्व विद्यमान रहते हैं जो मधुमेह को नियंत्रण में रखते हैं। 

  • जामुन की मात्रा 150 ग्रा. प्रतिदिन खाएं। इस से अधिक हानि भी कर सकता हैं।

  • मोटापा तथा मधुमेह रोग होने के कारण एक जैसे हैं, अतः मोटापा तो कभी होने ही न दें अन्यथा कब मोटापा ही मधुमेह रोग धारण कर ले, पता ही नहीं चलेगा। अपनी ऊंचाई के लिए निर्धारित वज़न से 10 प्रतिशत तक अधिक हो जाए तो स्वीकार्य होगा।