कुदरती प्रक्रिया है बच्चों के दांत निकलना


परिवार में शिशु के जन्म के बाद माता-पिता की निगाहें उसके विकास पर टिकी रहती है कि कब बच्चे ने पहली मुस्कान दी, कब हाथ पैर हिलाए, पलटी मारी, बैठना, खिसकना, खड़ा होना, चलना आदि क्रियाएं माता पिता के आनंद को और बढ़ा देता है।


इसी प्रकार नवजात शिशु का जब पहला दांत आता है उस बीच कई परेशानियों से माता-पिता और बच्चे को जूझना पड़ता हे। बच्चे की परेशानी से माता-पिता भी परेशान हो जाते हैं। आइए जानें बच्चों के दांत निकलते समय क्या परिवर्तन और परेशानियां आती हैं-


- बच्चा जब गर्भ में होता है तभी उसके दांत के बड्स की शुरूआत हो जाती है। बाद में कैल्शिफिकेशन होता और मिनरल्स जमने लगते हैं।


- दांत निकलना प्राकृतिक प्रक्रिया है। अधिकतर बच्चों के दांत निकलने की शुरूआत सात महीने के होने पर होने लगती है। हर बच्चे के दांत निकलने का समय अलग अलग हो सकता है।



- बच्चे के दूध के 20 दांत होते हैं। यह एक साथ न निकलकर एक एक करके निकलते हैं। पहला दांत निकलने के बाद लगभग हर माह एक दांत और आ जाता है।


- 23 से 30 माह की उम्र्र तक बच्चे के 20 दांत निकल आते हैं।


- दांत निकलने के कुछ समय पहले से ही बच्चा मुंह में उंगली, हाथ, हर वस्तु मुंह में डालने लगता है। सबसे पहले बच्चे के सामने के दांत आते हैं, फिर केनाइन यानी नुकीले दांत बाद में दाढ़ निकलती है।


- कभी कभी किसी नवजात बच्चे के जन्म से ही दंात होते हैं। यह असामान्य नहीं है पर ऐसा बहुत कम शिशुओं के साथ होता है।


- दांत निकलने के दौरान अक्सर बच्चों का पेट खराब होता है प्रायः उन्हें लूज मोशन काफी होते हैं। दरअसल इस दौरान बच्चे हर चीज मुंह में डालने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार गंदगी उनके मुंह में चली जाती है और जो इंफेक्शन का कारण बनती है। इस दौरान बच्चे के साथ बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है ताकि उसे इंफेक्शन से बचाया जा सके।


- बहुत से बच्चों को दांत निकलने के दौरान बुखार आ जाता है। बच्चा दूध पीना, खाना बंद कर देते हैं और स्वभाव में भूखे होने के कारण चिड़चिड़े हो जाते हैं।  यह सब सामान्य प्रक्रिया है।


- तेज बुखार, ज्यादा लूज मोशन्स होने पर बाल विशेषज्ञ को दिखाएं ताकि बच्चे के शरीर में पानी की कमी न होने पाए।


- बच्चों के आस-पास सफाई का विशेष ध्यान रखें, उनके खिलौने गर्म पानी से धोते रहें और बच्चों के हाथ बार-बार धोते रहें। साफ चम्मच से ही बच्चे को फीड करें।