बरसात में बचिए 'डेंगू' के प्रकोप से


वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही अन्य बीमारियों के साथ-साथ 'डेंगू' बुखार का प्रकोप भी बढ़ जाता है। यह बुखार एक खतरनाक बीमारी के रूप में जाना जाता है। रोगी का उपचार अगर शीघ्रतापूर्वक न कराया जाए तो रोगी की जान तक जा सकती है। इस ऋतु में जगह-जगह वर्षा के पानी के जमा हो जाने से डेंगू का प्रकोप बढ़ जाता है।


डेंगू रोग का कारण बैक्टीरिया से भी छोटे रोगाणु, वायरस अथवा विषाणु होते हैं। ये विषाणु छह प्रकार के होते हैं। मच्छरों के काटने से ये विषाणु मानव शरीर में पहुंच जाते हैं। विशेष रूप से 'एडीज इजिप्टी' नामक मच्छरों की प्रजाति डेंगू-ज्वर फैलाने के उत्तरदायी माने जाते हैं।


मच्छरों के काटने के बाद रोग के लक्षण 5 से 6 दिनों के बाद दिखाई देने लगते हैं। बीमारी की गम्भीरता, विभिन्न रोगियों में अलग-अलग तरह की होती है। कुछ मरीजों में रोग 7 से 10 दिनों के अन्दर ही अत्यन्त गम्भीर स्थिति मंे पहुंच जाता है जबकि कई मरीजों में रोग मामूली अवस्था तक ही सीमित रहता है।



प्रारम्भ में दो दिनों तक सिरदर्द, कमजोरी रहती है। शरीर में दर्द होने के साथ ही पीठ, कमर एवं जोड़ों में अधिक दर्द होता रहता है। आंखों की चारों ओर की हड्डियों में भी तेज दर्द होता है। यहां तक कि नजर इधर-उधर चलाने में भी कष्ट होता है। इस स्थिति में प्रकाश असहनीय लगता है तथा आंखों मंे आंसू निकलते रहते हैं। उल्टी होने की संभावना या उल्टी होने लगती है। भूख और नींद चली जाती है तथा मरीज तनावग्रस्त होकर उदास रहने लगता है।



डेंगू बुखार का अभी तक कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है। अन्य दर्द निवारक औषधियों के माध्यम से ही शरीर के दर्द को कम किया जाता है। खून बहने के कारण हुई रक्त की कमी को रक्ताधान (ब्लड ट्रान्सफ्यूजन) द्वारा पूरा किया जाता है। खूनी बुखार की स्थिति में 'कार्टिकोस्टेराइट्स' औषधियों का उपयोग किया जाता है। डेंगू बुखार हो जाये और उसका उपचार कराया जाय, इससे बेहतर होता है कि इससे बचने के उपायों को किया जाये। यह रोग काफी खतरनाक माना जाता है इसलिए इससे बचने के उपायों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। निम्नांकित उपायों को करने से डेंगू बुखार से बचा जा सकता है - 



  • रूके हुए पानी एवं गन्दगी को साफ कर देना चाहिए ताकि इनमें मच्छरों की पैदाइश को रोका जा सके। 

  • मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए 'आर्गेनोफास्फोरस' कीटनाशक औषधि का छिड़काव मकान के अन्दर या आस-पास करते रहना चाहिए।

  • पीने के पानी में भी आर्गेनोफास्फोरस का छिड़काव किया जाता है। इससे पानी में तीन माह तक लार्वा उत्पन्न नहीं होते। साथ ही इससे पानी का स्वाद भी नहीं बिगड़ता और मानव पर कोई दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट) भी नहीं होता।

  • मच्छर न काटे, इसके लिए मच्छरदानी का प्रयोग या मच्छर भगाने के अन्य उपायों को किया जाना चाहिए।

  • बरसात के मौसम में एडीज मच्छरों का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है अतएव इस मौसम में मच्छरों से बचे रहने के हर संभव प्रयास को किया जाने चाहिए।

  • बुखार आते ही अविलम्ब चिकित्सक से सम्पर्क करना चािहए। लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है।