टहलना अतीव उपयोगी व्यायाम है


अपने स्वास्थ्य को दीर्घकाल तक अविच्छिन्न बनाए रखने व किसी कारणवश क्षीण हो गए स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने हेतु किए जाने वाले अनेकानेक व्यायामों में 'टहलना' सर्वोपरि महत्त्व का है। यह शारीरिक दृष्टि से उतना ही लाभदायक है जितना मानसिक दृष्टि से।


यह सभी प्रकार के व्यक्तियों के लिए चाहे वे अशक्त हों या मजबूत, उपयुक्त है। गठिया, दमा, रक्तचाप व हृदय-रोग के रोगियों के लिए तो अपने निकटवर्ती खुले स्थानों में टहल कर ताजगी प्राप्त करना अत्यंत लाभदायक है।
कहा जाता है कि नियमानुसार कार्य करने से फल हजार गुणा मिलता है। टहलने का भी भरपूर लाभ उठाने के लिए भी कुछ निर्देशों का परिपालन आवश्यक है।



  • क ब्रह्म-मुहूर्त को टहलने का सर्वश्रेष्ठ समय बताया गया है। कारण कि विद्वानों के अनुसार इस समय प्राणवायु की वातावरण में अधिकता होती है। प्रातः कालीन वायु की शुद्धता, शीतलता व सौम्यता का पान कर व्यक्ति पूरा तरोताजा हो जाता है।




  • पैदल चलना मात्रा ही टहलना नहीं है। टहलने के साथ-साथ जब आरोग्यवर्धक मान्यता जुड़ी होती है, तभी इसका सर्वोत्तम लाभ मिल पाता है। प्रयास और भावना का सम्मिश्रण ही टहलने वाले को बल प्रदान करता है। मन में आरोग्य संचय की कामना भर कर प्रातः काल टहलने से अशक्त व रूग्ण व्यक्ति अपने खोए स्वास्थ्य को लौटा सकता है। टहलने में एक नियमित प्रयास, सरलता, क्रमबद्धता तेजी, उत्साह और सतर्कता आवश्यक है।

  • टहलते वक्त बदन सीधा रखना चाहिए। कंधे दबे हुए, सीना उभरा हुआ, सिर थोड़ा पीछे को, निगाह एकदम सामने रहे। शरीर के अंदर चुस्ती हो, किन्तु मांसपेशियों की सहजता बनी रहनी चाहिए।

  • मुंह बंद कर गहरी सांस लेने का प्रयास करना चाहिए। गहरी सांस लेने से संपूर्ण फेफड़े सक्रिय हो जाते हैं। गहरी सांस लेना प्रति क्षण लाभदायक है किन्तु टहलने के समय इसका ख्याल विशेष रूप से रखा जाना चाहिए।

  • टहलते वक्त शरीर पर वस्त्रा कम व हल्के रहें। इससे रोमकणों व समस्त त्वचा को भी उत्तम वायु का स्फूर्तिदायक स्पर्श प्राप्त होता है।

  • टहलने के साथ-साथ उसकी अवधि, समय व गति भी निर्धारित है। स्वस्थ व्यक्ति प्रति घण्टा तीन से चार मील के बीच चलें। बीमार, कमजोर, बूढ़े, बालक या मोटे आदमी व महिलाएं अपनी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखकर चाल निर्धारित करें।

  • टहलने की आवश्यकता पैदल चलने से भी पूरी हो सकती है। अत्यधिक व्यस्त व्यक्ति पैदल चलते समय ही टहलने की सी मनोभूमि बनाकर टहलने का लाभ उठा सकते हैं।
    उपर्युक्त निर्देशों का परिपालन कर कोई भी व्यक्ति टहलने के लाभ से लाभान्वित हो सकता है।