किसी की जिंदगी में अच्छा परिवर्तन लाना ही सबसे बड़ा अवॉर्ड है : रेहाना अली


कहते हैं औरतों की जिम्मेदारियाँ कभी खत्म नहीं होती मगर इतने पर भी कुछ ऐसी शख्सियत हैं जो समय निकालकर अपने लिये ही नहीं अपितु समाज की औरतों के लिए भी कुछ कर गुजर रही हैं, ऐसा ही नाम हमारे बीच में है - रेहाना अली। जिनसे बातचीत की तो पता चला की उनका जीवन कितना संघर्षमय और सम्पर्णशील रहा है। 'आपकी सेहत' के सम्पादक तरूण कुमार से हुई बातचीत के प्रस्तुत हैं कुछ प्रमुख अंश :-


रेहाना जी आपने कैरियर की शुरूआत कहाँ से की?


मेरी प्राथमिक शिक्षा अब्दुल्लाह गर्ल्स स्कूल अलीगढ़ से हुई, मुझे क्या करना है ये मैंने 10वीं कक्षा में ही तय कर लिया था। जिंदगी आपको रोज नये सबक पढ़ाती है, इंसान पैदा होने से लेकर मरने तक रोज एक नया सबक पढ़ता है, रोज नया सीखता है। जिंदगी की पढाई जिंदगी गुजारने पर ही होती है। मैंने भी हालात को देखते हुए तय कर लिया था कि मैं हर उस इंसान के काम आऊंगी जिसे मेरी जरूरत होगी। मैं वूमैन इम्पावरमेंट का सपना लेकर चली थी, जब औरतें बेरोजगार होती हैं, काम करने के बाद भी अपने शोहरों से पिटती हैं ये सब देखकर मुझे बहुत बुरा लगता था। बच्चे मजदूरी करते हैं, मैं उन सभी बातों को देखकर बहुत दुखी होती थी, उन सबसे बात करती थी, जितना हो सके उन्हें सुनकर उनकी हेल्प करती थी। मैं हमेशा से कुछ ऐसा करना चाहती थी कि मेरे जाने के बाद भी लोग मुझे याद रखें। 



रेहाना जी आपकी प्राथमिक शिक्षा कहां से हुई और आपने कब अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित किया?


मैं अलीगढ़ से हूँ इसीलिए मेरी पढ़ाई भी वहीं से हुई। मैंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया, मेरे पापा को बीए, बीएड करना पसंद नहीं था, वे चाहते थे कि मैं कोई प्रोफेशन कोर्स करूं। इसीलिए मैंने ग्रेजुएशन फैशन डिजाइनिंग में किया। मेरे पापा को लीवर कैंसर था इसलिए वो चाहते थे कि लड़कियाँ अपने पैरों पर जल्द से जल्द खड़ी हो जायें। अपनी बीमारी की वजह से उन्होंने मेरी शादी जल्द ही कर दी। मैंने अपनी पढाई शादी के बाद भी जारी रखी, टीचिंग भी की, मैं और मेरे हंसबैंड भी चाहते थे कि मैं टीचिंग की लाईन में जाऊं।


रेहाना जी आपने इतने मुश्किल दौर और बिजी रहने के बावजूद इतना सब कैसे किया?


घर और बाहर एक साथ संभालना बहुत मुश्किल होता है और वो भी जब बच्चे छोटे हों, सबसे पहले मैंने अपना डिसिप्लीन मैंटेन किया, अपने वक्त को बांटा, घर को कैसे संभालना है और कैसे उसके साथ जॉब और फिर मेरा सोशल वर्क, लेकिन अल्लाह का शुक्र है सब कुछ बैलेंस हो गया। अपने हर कार्य के लिए कभी भी घर को डिसटर्ब नहीं किया, और ये इसीलिये मैंनेज हुआ क्योंकि इन सभी में मेरे हसबैंड ने मेरा साथ दिया, यदि उनका साथ नहीं होता तो कुछ भी मुमकिन नहीं होता और जब मेरे बच्चे बड़े हो गये हैं वो भी मेरा साथ देते हैं क्योंकि उन्हें पता है मैं कभी भी खाली नहीं बैठ सकती। काम करते रहना मेरा जनून है।


'आंधियों को जहां जिद है बिजलियाँ गिराने की,
हमें भी जिद है वहां आशियां बनाने की।'



रेहाना जी आज आप जिस मुकाम पर हैं उसने पाने के लिए आपने क्या किया और आपके मुख्य सपोर्टिंग सिस्टम कौन रहे?


मेरा सपोर्टिंग सिस्टम मेरे भाई-भावज और मेरी बहने हैं, जो हमेशा मुझे प्रेरित करती हैं, एक फैमिली सपोर्ट बहुत बड़ा सपोर्ट होता है, अगर आपके पास फैमिली सपोर्ट है तो आप काम दोगुना कर सकते हैं, मेरी माँ और उनकी दुआयें मेरे साथ हैं, मेरे शोहर, मेरे बच्चे जो मेरा हमेशा साथ देते हैं, मेरे शोहर तो लोगों को ढूंढ-ढूंढकर लोगों की मदद करते हैं, ये उनकी और मेरी एक जैसी आदत है। हम दोनों में अक्सर ये प्रतिस्पर्धा रहती हैं कि कौन लोगों की मदद ज्यादा करता है। मेरी दोस्त हमेशा मेरे काम आती हैं, मैं उनसे मिलती भी कम ही हूँ मगर वो फिर भी मेरा सपोर्टिंग सिस्टम बनी रहती हैं। जब भी मैं उनसे बात करती हूँ तो वो मेरी हिम्मत को अपनी बातोे से दोगुना कर देती हैं। मैं अपने फैमिली और दोस्तों को शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ, वे हमेशा मेरी हिम्मत बने रहें। मेरी माँ और उनकी दुआयें मेरा हमेशा साथ देती हैं, मैंने अपनी माँ के लिए कविता लिखी है उसकी चार लाईन सुनाती हूँ -


मेरी जीत का यह एहलाम तुम से है,
मेरी हर खुÞशी भी माँ सिर्फ तुम से है। 
तुम्हारी दुआओं से मैं आज यहां तक पहुंची
जहां-जहां मेरा एहतमाम सिर्फ तुम से है।।


रेहाना जी अपने जीवन में जो तय किया और उसको पाने के लिए आपने दिन रात मेहनत की क्या अभी वह सपना अधूरा है?


हाँ वह सपना अभी अधूरा है। मैं कवितायें, आर्टिकल और वर्तमान के हालात पर लेख भी लिखती हूँ, जब मेरी पहली कविता अखबार में छपी थी तो मुझे बेहद खुशी हुई थी। आजकल मेरी किताब, 'मुझे कुछ कहना है' पर कार्य चल रहा है वो जल्द ही मार्केट में आयेगी, आप जरूर उसे पढियेगा उसके अंदर लिखी सभी कवितायें आपको अपनी सी लगेंगी। मेरे सपने अभी अधूरे हैं उनको पूरा करना अभी बाकी है। 
मंजिल तक पहुंचने के लिए बड़े-बड़े कदमों की जरूरत नहीं होती, बल्कि सीधे कदमों की ज़रूरत होती है इसलिए मंजिल उन्हीं को मिलती है जो अपने छोटे-छोटे कदमों से चलते रहते हैं।


रेहाना जी आप इतनी समाजसेवा करती हैं इसमें आपकी सहयोगी की भूमिका कौन अदा करते हैं?


मैं और मेरे हसबैंड दोनों ही मिलकर इस कार्य को करते हैं, मैं तो यह कार्य नियमित रूप से करती हूँ मगर मेरे हसबैंड भी इन कार्यों में पीछे नहीं हैं। मैं ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करती हूँ कि मुझे ऐसे शोहर मिले, जैसे मेरे हसबैंड हैं वैसा इंसान होना आज की तारीख में बहुत मुश्किल है। हेल्प करने के पश्चात वो कभी भी किसी से रिटर्न की उम्मीद नहीं करते। यही आदत मुझमें, हमारे बच्चों में भी है, हम भी रिटर्न की उम्मीद नहीं करते। किसी की मदद करने पर हम उसके चेहरे पर जो हँसी और खुशी देखते हैं तो उससे हमारे रूह को जो खुशी मिलती हैं उस खुशी को हम अल्फाज़ो में बंया नहीं कर सकते। मैं जब भी रात में लेटती हूँ तो दिन भर की प्रक्रिया को याद करती हूँ कि कितने अच्छे कार्य किये, कितनी गलतियां कीं, और फिर दूसरे दिन के लिए अपना शेडयूल बनाना शुरू कर देती हूँ। मेरे सपने और न जाने कितने के सपने मेरे द्वारा पूरे किये जाने हैं। 


रेहाना जी आपको सेवा के क्षत्र में कौन-कौन से सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है?


मैंने कभी भी कोई भी कार्य अवार्ड के लिये नहीं किया है, कार्य करना तो कार्य करना ही है लेकिन यदि आपके कार्य करने से किसी की जिंदगी बनती है, किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट आती है तो वो ही आपके लिए सबसे बड़ा अवॉर्ड होता है। मुझे ये कार्य करते-करते तकरीबन 15-20 साल हो गये हैं। हाँ मुझे लोग जानने लगे हैं, पहचानने लगे हैं, देखते हैं मुझे लोगों की मदद करते हुए, तो मुझे इसीलिए 'वूमैन इम्पावरमेंट' के अलग-अलग तरह के सम्मानों से सम्मानित भी किया गया। किसी की जिंदगी में अच्छा परिवर्तन लाना ही सबसे बड़ा अवॉर्ड है, उसकी दुआयें ही सबसे बड़ा अ‍ॅवार्ड है, आप भी कभी किसी की हेल्प करके देखिये आपकी रूह तक खुश  हो जायेगी और यही आदत मैंने अपने बच्चों में डाली है कि कभी भी किसी को सहायता की जरूरत हो तो सबसे पहले आगे आकर उनकी सहायता करें। 



रेहाना जी आपके जीवन के रोल मॉडल कौन है तथा आप किस फिल्म स्टार की तरह बनना चाहती हैं?


मेरी जिंदगी का रोल मॉडल कभी भी कोई एक्टर्स नहीं रही है। मुझे हमेशा से मदर टेरेसा, रजिया सुल्तान उन जैसी हस्तियाँ पसंद हैं, उनके कहानियाँ मैं पढ़ती हूँ, जिन्हें पढ़कर मुझे प्रेरणा मिलती हैं, उनके जैसा बनना मेरा ख्वाब है, उनके जैसा कार्य यदि में थोड़ा भी कर जाऊं तो मेरी जिंदगी कामयाब हो जायेगी, मुझे यकीन ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है मैं एक दिन यह कार्य भी जरूर कर जाऊँगी।


रेहाना जी आपको लोगों की सेवा करने की प्रेरणा कहां से और कब से हुई?


मुझे शुरू से ही लोगों की मदद करने का बहुत शौक था। आसपास का माहौल देखकर बहुत दुख होता था, लेकिन आजकल के बच्चों के हौंसले बहुत कम हो गये हैं, ये सब देखकर मुझे बहुत बुरा लगता है, इसीलिये मैंने लिखना भी शुरू किया, मैं इनपर छोटे-छोटे आर्टिकल भी लिखती रहती हूँ, नज़में भी लिखती हूँ, हर औरत में कुछ ना कुछ हुनर छिपा होता है बस उसे पहचानने की जरूरत होती है, औरत सब कुछ कर सकती है बस उसे हिम्मत की जरूरत है। मैं उन सभी औरतों से जो कुछ करना चाहती हैं मगर बोलना नहीं चाहती, उन सबसे मिलती हूँ, बात करती हूँ, उनके दिल के हालात जानने की कोशिश करती हूँ फिर उनको लेकर आती हूँ, उनको हुनर सिखाती हूँ, ताकि वे कमाने लायक बन जायें, उन बच्चों को तालीम देती हूँ, बच्चों के स्कूल की फीस देकर उनको स्कूल में दाखिला दिला देती हूँ, इसी तरह का मेरा ये कार्य चलता रहे मैं एक फाउंडेशन से जुड चुकी हूँ, मैंने एक सेंटर खोला है जहां पर मैं फ्री आॅफ कास्ट सिलाई कढाई सिखाती हूँ, हैण्डीक्राफ्ट सिखाती हूँ, वेस्ट चीजों से कुछ अच्छा बनाने की कला भी सिखाते हैं, वे लड़कियों और औरतें अपने पैरों पर खड़ी हो जायें, अपने घर को संभालें, अन्य कई संस्थाओं से जुड़ी हूँ, जहां मेरी जरूरत है मैं वहां जुड़कर लोगों की मदद करती हूँ।


रेहाना जी आप आने वाली पीढ़ी को कोई ऐसा संदेश देना चाहेंगी जिनसे वह प्रेरित हो सके।


ये नेक काम मैं जरूर करना चाहूंगी क्योंकि आजकल पढ़-पढ़कर मैं शॉक हो गयी हूँ कि जÞरा-ज़रा से बच्चे सुसाइड कर रहे हैं, मैं हर लड़के और लड़की को समझाना चाहूंगी कि हालात से लड़ना सीखें, आजकल के बच्चे बहुत जल्दी हार मानना सीख गये हैं, और ये भूल गये हैं कि हार कर जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं। वक्त और हालात एक जैसे नहीं रहते, दूसरोें की मदद की आदत डालिये, जिदंगी एक बार मिलती है इसकी कदर कीजिये, यहां पर मैं एक बार कहना चाहूंगी कि - कामयाब इंसान की स्टोरी पढ़ना बहुत अच्छी बात है मगर लेकिन नाकामयाब लोगों की स्टोरी भी पढ़ना जरूरी है क्योंकि उसमें से आपको जरूर कुछ तथ्य ऐसे मिलेंगे जोकि आपको कामयाबी की तरफ ले जायेंगे। खूबसूरत चेहरा बूढ़ा हो जाता है, खूबसूरत जिस्म भी एक दिन ढल जाता है लेकिन एक अच्छा इंसान हमेशा अच्छा इंसान ही रहता है। तो कोशिश करिये की एक अच्छा इंसान बनिये। हर काम में थोड़ा समय लगा है अपना आपा ना खोयें, आप एक दिन आप जरूर कामयाब होंगे।