हर वो इंसान टीचर है जो दूसरे के जीवन में चेंज ला रहा है श्रीमति राजश्री जैन


दुनिया रूपी इस संसार में ऐसे लोग हैं जोकि दूसरों से प्रेरणा लेकर दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं। एक ऐसा ही नाम और चेहरा हम अपने आपकी सेहत के पाठकों के लिए लेकर आये हैं जी हाँ हम बात करते हैं राजश्री जैन से, जिनका नाम शिक्षा जगत में बड़ी इज्जत के साथ लिया जाता है। उनसे मुलाकात कर 'आपकी सेहत' के उपसंपादक प्रवीण कुमार शर्मा ने साक्षात्कार किया प्रस्तुत हैं कुछ मुख्य अंश :-



राजश्री जैन जी आपसे हमारा सवाल है कि आपने अपने कैरियर की शुरूआत कहां से की?
दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढाई करने के लिए जाना, 1986 में शायद मेरे कैरियर की शुरूआत ही थी। मगर बी.एस.सी. बॉयोकैमिस्ट्री करने के बाद जब शादी हुई तो वहां से कैरियर का दूसरा आयाम शुरूआत हो गया, परिवार शुरू हो गया साथ ही साथ मेरी माँ चाहती थी कि मैं बी.एस.सी. के साथ कोई प्रोफेशनल डिग्री भी लूँ तो मैंने बी.एड. करना उचित समझा क्योंकि मुझे हमेशा टीचिंग का बहुत ही शौक था।



राजश्री जैन जी आपकी प्राथमिक शिक्षा कहां से हुई और आपने जीवन का लक्ष्य कब तय किया?
मेरी प्राथमिक शिक्षा बैपटिस्ट मिशन स्कूल से हुई उसके बाद मेरे एक-दो स्कूल चेंज हुए और वहीं से ही सिटी नर्सरी स्कूल से आगे की पढाई हुई मगर जब मैं 10वीं कक्षा में आयी तभी मैंने सोच लिया था कि मुझे जीवन में जरूर कुछ करना है बनना है। जिसके लिए मुझे साइंस लेना ही पड़ेगा, उस वक्त लड़कियां अमूमन सार्इंस कम लिया करती थीं क्योंकि पढाई के घंटे बहुत ज्यादा होते हैं और सुबह 7 बजे दिल्ली यूनिवर्सिटी के लिए घर से निकलना और शाम को 5.30 बजे तक घर लौटना साथ ही घर का बना खाना साथ ले जाना क्योंकि हम बाहार का खाना नहीं खाते थे क्योंकि हम प्योर वेजिटेरियन थे, वैसे मैं प्याज का भी सेवन करनी करती हूँ।



राजश्री जैन जी आपकी सफलता और आज आप जिस मुकाम पर हैं उसमें मुख्य भूमिका किनकी रहीं?
12वीं कक्षा में ही मैंने ये निर्णय ले लिया था कि मुझे जीवन में कुछ ना कुछ ऐसा करना है जिससे की मैं दूसरी महिलाओं के जीवन में कुछ सकारात्मक परिवर्तन ला सकूं। मैं जब भी अपने आसपास होने वाली महिलाओं पर दबाव या शोषण को महसूस करती थी तो मेरा दिल बहुत दुखी होता था। मैं अपनी तरफ से कोशिश करती थी कि मैं उन महिलाओं से मिल बातों के जरिये उनकी समस्याओं को सुलझाऊँ, मेरी कोशिश रंग भी लाती थीं, मेरी बातों को सुना भी जाता था। उन सभी में मेरी नानी, मामी, मौसी, आदि बहुत प्यार और दुलार से समझाती थीं क्योंकि वे सभी अपने जमाने की प्रोग्रेसिव महिलायें थीं।



राजश्री जैन जी आज आप जिस मुकाम पर हैं यह देखकर आपको कैसा महसूस होता है?
सफलता के जिस मुकाम पर मैं आज हूँ, उसका श्रेय मैं अपने हसबैंड को, अपनी माँ को और अपने दोनों बच्चों को देना चाहूंगी। मेरा जो पूरा परिवार है उन्होंने मेरा पूरा सपोर्ट किया। इन चारों लोगों के अलावा भी मेरे परिवार ने मेरा सपोर्ट किया बात ही नहीं बात कहने का तरीका भी होता था सब वही मानते थे। और ऐसा नहीं है कि सभी बातें मानते थे कुछ विरोधाभास मुझे भी सहना पड़ता था मगर मैं कभी टूटी नहीं मैं उस विरोधाभास से मैंने सीख ली, मैं कब अपने आप को बढ़ा सकती हूँ, जब मैं अपने साथ की महिलाओं को आगे बढ़ा सकती हूँ, वो मेरे जीवन का उद्देश्य हमेशा से ही रहा है। जब मैं देखती थी कि महिलायें काम कर रही हैं और उनकी ड्यू पैमेंट नहीं मिल रही है, मुझे ये सब देखकर बहुत खराब लगता था, डिगनिटी आॅफ लेबर मेरे दिमाग में हमेशा से ही रही है। मेरे आसपास कि काम करने वाली महिलाओं को चाहे वो महिलायें सब्जी बेचने वाली हो, वो महिलायें जो घरों में जाकर काम कर रही हैं उन सभी महिलाओं से इज्जत से बात करना मेरे लिए बहुत ही इम्पोर्टेंट बात रही है। मैनें कभी किसी भी प्रकार का ऊँच-नींच, छोटा-बड़ा नहीं सोचा, इस प्रकार की बातें मेरे दिमाग में कभी थी ही नहीं, मुझे लगता था कि वो अपना फर्ज निभा रही है और हमें अपना फर्ज निभाना चाहिये।



राजश्री जैन जी आपने आज तक अपने जीवन में जो तय किया और उसको पाने के लिए आपने दिन रात मेहनत की क्या अभी वह सपना अधूरा है?
मैंने अपने जीवन में जो भी मेहनत की है मुझे कहीं न कहीं कुछ अधूरा लगता है, मुझे पी.एच.डी. करनी है वो मेरा सपना है जिसे मैं जल्द ही पूरा भी करूंगी। पी.ची.डी. के लिए मेरा सब्जेक्ट भी वूमैन एम्पॉवरमेंट ही रहेगा। मैं किस तरीके से जीवन में परिवर्तन ला सकती हूँ, ओबरा विनफ्री हो गयीं, या कोई भी महिला जो किसी भी तरीके से अपने परिवार में, अपने समाज में, परिवर्तन लाती है, कमाई करती है, वे मेरे लिए प्रेरणा स्रोत हैं। मेरा जो अधूरा सपना है वो उन सब महिलाओं के जीवन के ऊपर ही आधारित होगा। मेरी पीएचडी का सब्जेक्ट सिर्फ और सिर्फ वे ही महिलायें नहीं होंगी जिन्हें सब कुछ मिला है, मेरी सोच में वे महिलायें हमेशा रहती हैं जिन्हें कुछ नहीं मिला है, जिनको समाज में लड़की होने के नाते, रिश्ते होने के नाते उनको उनका मुकाम नहीं मिला है, तो मेरी पीएचडी का टोपिक वे ही महिलायें रहेंगी, महिला इम्पॉवरमेंट ही रहेगा।


राजश्री जैन जी आपको आपके परिवार से सबसे ज्यादा सपोर्ट और सहयोग किनसे मिला?
मुझे मेरे परिवार में सबसे ज्यादा मेरे हसबैंड का सपोर्ट मिला है और मैं बहुत ही भाग्यशाली हूँ इस चीज में क्योंकि जैन साहब मेरी कभी भी किसी भी बात को मना नहीं करते, हाँ वो मुझे सिक्योरिटी के चलते आगाह जरूर करते हैं, अगर मैं कहीं भी जा रही हूँ, अकेले ट्रैवल कर रही हूँ तो वो मुझे सपोर्ट करते हैं, ध्यान रखते हैं और गाईड दिशा निर्देश समय-समय पर करते रहते हैं।


राजश्री जैन जी आपके जीवन के रोल मॉडल कौन है तथा आप किस फिल्म स्टार की तरह बनना चाहती हैं?
मेरी जीवन की रोल मॉडल एक नहीं कई महिलायें हैं जिनमें से एक मदर टेरेसा हैं जोकि समाज में सेल्फलस रूप से समाजसेवा करना, उनकी ये सेवा हर महिला को प्रेरित करता है। जब मैं उनके बारे में सोचती हूँ ये सब अंतर्राष्टÑीय स्तर की महिलायें हैं। जिन्होंने जो कुछ भी पाया है अपने दम पर पाया है, वो दबायी गयी थीं, उनकी जो भी मैं स्टोरी सुनती हूँ, तो वो मेरे दिल को छू जाती हैं। मेरे स्कूल मेें संस्कृत की टीचर थीं मिसेज ग्रोवर, क्योंकि वे बहुत ही स्पष्टवादी थीं, बहुत ही हिम्मत वाली महिला थीं, कहीं ना कहीं वे भी मुझे प्रेरित करती हैं। जब मैं छोटी थी तब मेरी सिस्टर मुझे प्रेरित करती थी कि जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिये। किसी भी तरीके से हार एक आॅप्शन नहीं है जीने के लिए। अपने दायरे में रहते हुए भी हम ऊँचे मुकाम पर पहुंच सकते हैं। ये जीवन की बहुत जरूरी चीज है। फिल्म स्टार के बारे में तो मैं क्या कह सकती हूँ, वे सभी अपने-अपने क्षेत्र में बहुत ही ज्यादा ऊँचाईयों पर पहुंची हुई हैं। फाइनेंसियली वें मजबूत हैं क्योंकि वे देश के लिए, समाज के लिए काम कर रही हैं। एक जमाने में ऐसा समझा जाता था कि अच्छे घर की महिलायें फिल्मों में काम नहीं करती। अगर मैं माधुरी और ऐश्वर्या राय के बारे में सोचती हूँ तो उन्होंने क्या-क्या नहीं हासिल किया। उन्होंने अपने आप को ही नहीं, देश को भी आगे बढ़ाया, फिल्म जगत के इस उद्योग में भी अपनी अहम भूमिका निभायी। मेरी हिसाब से हर महिला जो भी किरदार निभा रही है वो भी इम्पोर्टेंट हैं। हाँ ये अलग है किसी को मौका ज्यादा मिला, किसी को कम।



आपको अभी तक कौन-कौन से सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है?
सम्मान के अगर बात करें तो मुझे वुमैन इम्पॉवरमेंट के लिए अलग-अलग प्लेटफामर्स पर सम्मानित किया गया है। वो मेरे लिए इतना इम्पोर्टेंट हैं क्योंकि उन्होंने मुझे एप्रीसिएट किया। मगर सम्मान से ज्यादा मुझे कार्य ज्यादा प्रेरित करता रहा है। मुझे एज ए टीचर जब कभी भी सम्मान मिला है तो मुझे सबसे ज्यादा अच्छा लगता है। जब कभी भी बचपन में मुझसे पूछा जाता था कि आप बढ़े होकर क्या बनना चाहेंगी तो मेरे मुँह से एक ही बात निकलती थी कि मुझे टीचर ही बनना है। और टीचर क्यों बनना चाहती है क्योंकि वे देश को आगे बढ़ाती हैं। हर वो इंसान टीचर है जोकि किसी भी प्रकार से दूसरे के जीवन में चेंज ला रहा है।



आप आने वाली पीढ़ी को कोई ऐसा संदेश देना चाहेंगी जिनसे वह प्रेरित हो सके।
मैं दिल्ली से बिलॉंग करती हैं वो अलग बात है कि मैंने दुनिया के बहुत सारे देश देखे हैं, मैं रही भी हूँ वहां, वहां के कल्चर को भी जाना है। मगर मुझे एक चीज बहुत अखरती है हमारे यहां पर महिलाओं का, लड़कियों का रेप होता है, उस चीज के लिए मैं उनको प्रेरित करना चाहूंगी कि कभी भी हिम्मत ना हारना, किसी भी तरह की परिस्थितियां हों, उनका डंटकर सामना करें। और जो सबसे बड़ी बात आज के युवा वर्ग के लड़के हैं मैं उनको कहना चाहती हूँ कि कृपा करके आप महिलाओं के इज्जत करें, हर तरीके से इज्जत करें। लड़का-लड़की होने से कोई छोटा-बड़ा नहीं हो जाता है, ये महिलाओं को अपने लिए सोचना पड़ेगा कि वे बराबरी पर हैं कोई किसी से ऊपर नहीं है। हम सब एक ही धरातल पृष्ठभूमि पर हैं, हमारी अपनी-अपनी जिम्मेदारी हैं कहीं भी आपको लगता है कि आपके साथ बदसलूकी कर रहा है तो उसका डंटकर मुकाबला करना चाहिये, कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिये, ये नहीं सोचना चाहिये कि लोग क्या कहेंगे, लोग जो कहेंगे, कहेंगी ही, दो दिन कहेंगे, चार दिन कहेंगे फिर वे चुप हो जायेंगे। अगर आप सही है तो जो आज जो लोग आपकी निंदा कर रहे हैं कल वो ही लोग आपकी प्रशंसा करेंगे। मैं ये चीज हर लड़के और लड़कियों के सामने रखना चाहती हूँ कि हिम्मत करिये, आगे बढ़िये, समाज के सामने आइये, सबसे ज्यादा आपका जीवन इम्पोर्टेंट हैं, जीवन से जुड़ी अच्छाई या बुराई इतनी इम्पोर्टेंट नहीं है बस जीवन में आगे बढ़ते चले जाईये।