छोटे क्षेत्रों से निकलकर आज भारत की नारी आगे निकल रही हैं, सच्ची लगन और कड़ी मेहनत से अपना रास्ता निकाल अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसे पाकर एक मिसाल बन चुकी महिलाओं में शुमार हैं डॉ.सारिका शाह। जी हाँ हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के नागपुर में तेजी से फैशन व मॉडलिंग की दुनिया में उभरती डॉ. सारिका शाह की। 'आपकी सेहत' के संपादक तरूण कुमार ने उनसे साक्षात्कार किया प्रस्तुत हैं साक्षात्कार की कुछ विशेष झलकियाँ :-
सारिका शाह जी सबसे पहले आपसे हमारा सवाल है कि आपने अपने कैरियर की शुरूआत कहां से की?
मैने अपने कॅरियर की शुरूआत मेडीकल क्षेत्र से की है। मैं एक डॉक्टर हूँ और मैंने पैथोलॉजी विषय में अपना पोस्ट गे्रज्युऐशन किया हैं। मैने पब्लिक हेल्थ में भी डिप्लोमा किया है। मेरी आध्यात्मिक साधना में भी काफी रुची है और मैं रेकी मास्टर और लामा फेरा हीलर भी हूँ। सन 2017 में सबसे पहले मैने मिसेस इंडिया क्वीन आॅफ सबस्टंट में मिसेस ब्युटीफूल सोल (आत्मा) का टायटल जीता। उसके बाद मैने गृहसहेली मिसेस इंडिया 2017 में दिल्ली मे सैकेण्ड रनर-अप का सम्मान प्राप्त किया। फिर 2018 में मैने जयपुर में मिसेस इंडिया वर्ल्ड में फर्स्ट रनर अप का सम्मान प्राप्त किया। 2019 में मुंबई में मिसेस इंडिया युनिवर्स मे फस्ट रनर-अप का सम्मान प्राप्त किया और इस तरह से फैशन में मेरे कॅरिअर शुरू हुई। मैने कई मैगजीन के लिए भी मॉडलिंग की और कई फैशन शो में मैने सहभाग लिया है।
सारिका जी आपकी प्राथमिक शिक्षा कहां से हुई और आपने कब अपने जीवन का लक्ष्य तय किया?
मेरी प्राथमिक शिक्षा एक छोटे से नगर परिषद के स्कूल से हुई है जो महाराष्ट्र के वर्धा जिल्हे के अंतर्गत आता हैं। मैंने अपनी पाँचवी कक्षा से ही यही लक्ष्य बना लिया था कि मुझे डॉक्टर बनना हैं।
सारिका शाह जी आपकी सफलता और आज आप जिस मुकाम पर हैं उसने पाने के लिए आपने क्या किया? आपको लक्ष्य तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका किसकी रही?
मैं सोचती हूँ कि अगर आपको जीवन में अपना लक्ष्य पाना है तो सबसे पहले आपका पूरा फोकस उसी पर हो जो आप पाना चाहते हैं। उसके साथ-साथ जरुरी होता है आपकी कड़ी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास। मैं बचपन से ही अपने पिता से काफी प्रेरित रही। आज मैंने जो कुछ भी हासिल किया है वो मेरे माता पिता की ही देन है। मेरे पिताजी की मेहनत, माता का समर्पण, उसी कारण आज मैं इस मुकाम पर हूँ। मेरे पिताजी इंजीनियर थे और इंजीनियर कॉलेज में प्रोफेसर भी थे। माता एक गृहिणी हैं।
आज आप जिस मुकाम पर हैं और आज लोग आपको जानते हैं यह देख कर आपको कैसा महसूस होता है?
मुझे बहुत अच्छा लगता है कि आज मंैने अपनी खुद की एक पहचान बनाई है। लोग मुझे मान सम्मान देते हैं। समाज के हर अच्छे कार्य में मुझे आमंत्रित करते हैं। मैं अवयवदान (आर्गन डोनेशन) जागरुकता के लिए समाज मे अभियान चलाती हूँ और काफी जगह अपने कार्यक्रम लेती हूँ। पर एक बात का खेद है मुझे कि आज मेरे पिताजी मेरे साथ इस दुनिया में नहीं हैं अगर वे आज होते तो आज मेरा यह मुकाम देखकर उन्हें खुद पर अभिमान होता।
आपने आज तक अपने जीवन में जो तय किया और उसको पाने के लिए आपने दिन रात मेहनत की क्या अभी वह सपना अधूरा है?
जी हाँ मैं काफी मेहनती और महत्वकांक्षी हूँ, मैं कभी हिम्मत नहीं हारती और जीवन में जो कुछ भी पाना चाहती हूँ उसे हासिल करने का लक्ष्य भी रखती हूँ। अभी तो बस मेरी ये शुरूआत है, मुझे तो बहुत बड़े मुकाम को हासिल करना है। जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करने की शक्ति हो तो ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता हैं ।
आपको आपके परिवार से सबसे ज्यादा सपोर्ट और सहयोग किनसे मिला?
मेरे परिवार में सभी लोगो ने मुझे सपोर्ट किया है। मेरी सास, ससुर, पति, बेटा और मेरी माताजी। सबसे ज्यादा सपोर्ट मुझे मेरे पति का मिला है जिन्होंने कभी किसी चीज के लिए मुझे मना नहीं किया।
आपको अभी तक कौन-कौन से सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है?
ऐसे तो मुझे कितने ही राज्य स्तरीय और नेशनल अवॉर्डोें से सम्मानित किया गया है। जिनकी लिस्ट काफी लंबी है मुझे मिले हुए अवॉर्डस हैं -
1) टाइम्स आॅफ इंडिया नागपुर की तरफ से वूमन अचिवर्स अवॉर्ड।
2) हस्ताक्षर दिवा मुंबई।
3) वूमेन एक्सीलैंस अवॉर्ड नई दिल्ली।
4) राष्ट्रगौरव अवॉर्ड
5) नारी गौरव सम्मान
6) सावित्रीबाई फुले महाराष्ट्र अवॉर्ड
ऐसे कई अवॉर्डस मुझे मिले हैं।
सारिका जी आपके जीवन के रोल मॉडल कौन है तथा आप किस फिल्म स्टार की तरह बनना चाहती हैं?
मेरे लाइफ के रोल मॉडल मेरे पापा और मेरे पति हैं - जो बहुत मेहनती है। मैं प्रियंका चोपड़ा फिल्मस्टार से बहुत प्रभावित हूँ और मैं इनकी तरह बनना चाहती हूँ।
सारिका जी अभी तक आपने जितनी भी कार्य किए हैं उनमें से आपके लिए सबसे बेस्ट और सबसे अच्छा कार्य और अनुभव कौन सा रहा?
जैसा कि मैंने बताया कि मैं अवयवदन जागरूकता के लिए समाज में काफी कार्यक्रम लेती हूँ और उसके साथ-साथ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं के लिए भी प्रयास करती हूँ। पर सबसे ज्यादा खुशी मुझे तब हुई जब मैंने एक कुमार माता की शादी करने में मदद की। मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिल्हे में रहती हूँ और यहाँ पर आदिवासी गाँवो में कुमारी माता की संख्या बहुत हैं। इसीलिए आगे मैं इसपर भी काम करना चाहूँगी।
सारिका शाह जी आने वाली पीढ़ी को कोई ऐसा संदेश देना चाहेंगी।
मै युवा और नई पीढ़ी को यही सलाह दूंगी कि आप पहले अपना कैरियर बनाए, मेहनत करें, अपनी सोच बड़ी रखें। जिंदगी में ऐसा कुछ करें कि आपके पिता और माता गर्व से सर उठाकर चलें।