सेहत की सुरक्षा कैसे करें?



आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण हैंः-



समदोषः समाग्निश्च समधातु मलक्रियः।
प्रसन्नात्मान्द्रियमनाः स्वस्थ इत्यमिध्यिते।।



अर्थात् जिसके त्रिदोष वात-पित्त और कफ, षट्धातु-रस, रक्त, मैदादि, मल विसर्जन की क्रिया और चयापचय सम अर्थात् विकार रहित हों तथा जिसकी इंद्रियां, मन तथा आत्मा प्रसन्न हो, वही व्यक्ति स्वस्थ है। देश, काल और परिस्थिति के अनुसार स्वास्थ्य नियमों का पालन करने वाला निरोग रहता है।
वर्तमान समय में अस्त व्यस्त दिनचर्या एवं ऋतु अनुसार आहार-विहार, निद्रा, श्रम और मनोरंजन नहीं होने के कारण लोग अनेकानेक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं। हम देर रात्रि तक भोजन करते हैं। दूरी से सोने के कारण ब्रह्म मुहूर्त में उठ पाना संभव ही नहीं हो पाता। महानगरों में रहने वाले अधिकांश लोग उगते सूरज का आनंद नहीं उठा पाते। जिस समय सारी सृष्टि में नव प्राण और चेतना का जागरण होता है, उस समय जागना बहुत ही लाभकारी है यथा-



प्रातः काल की वायु का सेवन करता सुजान।
तातें मुखछवि बढ़त है बुद्धि होत बलवान।।



और



वर्णकीर्तिमति लक्ष्मी स्वास्थ्यमायुश्च विंदाति।
ब्राहमे मुहूर्ते संजाग्रच्छियं व पंकज यथा।।



प्रातः काल जागते ही अपने इष्ट का ध्यान कर फिर शीतल जल का पान करना चाहिए। इससे मल विसर्जन भलीभांति होता है तथा कब्जियत से छुटकारा मिलता है। शौच के बाद दांतों की सफाई करें। कुछ लोग दातुन, ब्रुश या उंगली को दो तीन बार घुमाकर ही इतिश्री मान लेते हैं जबकि दांतों को खूब रगड़कर मैल को छुड़ाना चाहिए। जीभी से जीभ की भली प्रकार सफाई करनी चाहिए। दांत और जीभ की निरोगिता और स्वच्छता पर हमारा स्वास्थ्य निर्भर करता है।
प्रातः स्नान के पूर्व अधिकांश लोग ब्रेकफास्ट लेना पसंद करते हैं। इसके कारण योगासन-सूर्यनमस्कार जैसे लाभकारी प्रयोगों से वंचित रह जाते हैं। उचित होगा कि चाय-दूध जैसे तरल पदार्थ लेकर सैर करें या तनिक अवकाश के पश्चात् शरीर में तेल-उबटन का मर्दन (मालिश) करें। फिर स्नान कर पन्द्रह-बीस मिनट तक शारीरिक क्षमता के अनुसार योगासन करें। आवश्यक होने पर पुनः स्नान करें। फिर नाश्ता या भोजन कर अपनी दिनचर्या प्रारंभ करें।
हममें से अधिकांश लोगों को इस बात की शिकायत हो सकती है कि इतना वक्त कहां, जो यह सब किया जा सके? इसका सार्थक जवाब यह है कि रोज-रोज दवा खाने, टाॅनिक पीने, किसी चिकित्सक को भारी रकम देने और कब्जियत, सिरदर्द जैसे रोगों से बेचैन रहने से तो यही बेहतर है कि हम थोड़ी सी अपनी दिनचर्या बदलें, अपना खान-पान सुधारें और खुशी-खुशी जीवन जियें। अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए किसी चिकित्सक की दया का सहारा लेना कोई समझदारी नहीं है। स्मरण रहे स्वस्थ रहना ज्यादा जरूरी है अपेक्षाकृत धनी बनने के क्योंकि स्वस्थ रहकर धन कमाया जा सकता है किंतु धन से निरोगता नहीं।