विवाह का फैसला सोच समझ कर ही करें


शिक्षा के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ उन्नति के नए आयामों की ओर कदम बढ़ाती औरत का आत्मविश्वास आज इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वह आत्मनिर्णय कर पाने में सक्षम हो गई है। कौन-सा कैरियर चुनना चाहिए, किस क्षेत्र में बढ़ना चाहिए। विवाह तक के मामले में वह आत्मनिर्भर हो रही है। एक जमाना था जब बेटी के किशोरावस्था से होकर गुजरने के क्रम में ही माता-पिता वर तलाशकर उसकी शादी कर देते थे। आज औरत का निर्णय, उसकी भावना, पसन्द-नापसन्द-सब कुछ महत्त्व रखने लगा है।


आज एक बात साफ दिखाई दे रही है कि आज औरत नौकरी-पेशा से कहीं ज्यादा विवाह के मामले में ही खुलकर सामने आ रही है तथा अनेक तो काॅलेज के जमाने में ही जीवन साथी ढूंढने में लगी हैं। नौकरीपेशे से जुड़ी औरतों में भी जीवन साथी के चुनाव को लेकर रूझान बढ़ रहा है। इस क्रम में, कुछ मामलों में तो उसे सफलता मिल रही है लेकिन उसके सामने धोखा खा जाने की समस्या भी उत्पन्न हो गई है इसलिए यदि आप जीवन साथी का चुनाव कर रही हांे या प्रेम-विवाह का निर्णय ले रही हों तो ये बातें अवश्य ही ध्यान में रखें।


न आप सबसे पहले यह जानने की कोशिश करें कि जिस युवक को आप जीवनसाथी बनाना चाहती हैं, वह किसी तरह से नौकरीशुदा या आत्मनिर्भर है या नर्हीं। आप अच्छी तरह तथा विश्वसनीय तरीके से तहकीकात कर लें। यदि वह आत्मनिर्भर न हो और आप आत्मनिर्भर हों तो यह तय कर लें कि आपकी तनख्वाह से एक परिवार का भरण-पोषण हो सकेगा या नहीं। यदि वह सुसंस्कृत है और आपके पास संसाधन हैं तो आप आगे बढ़ सकती हैं।


न आप यह पता लगाने की कोशिश करें कि कहीं उस व्यक्ति में लालच तो नहीं पनप रहा है। आप उसके हाव-भाव, आचार-व्यवहार से ही उसकी छुपी मानसिकता के बारे में बहुत कुछ समझ सकती हैं। आप यह समझने की कोशिश करें कि कहीं वह आपके पैसे से परस्त्री-गमन, नशा, जुआ आदि का शौक तो पूरा नहीं करेगा। जीवन बीमा के लालच में भी आजकल के कई युवक विवाह की आड़ लेते हैं। बाद में पत्नी की हत्या तक पर उतर आते हैं।


न आपको यह भी पता करना है कि कहीं वह व्यक्ति पहले से शादीशुदा तो नहीं है। आजकल वासनाप्रिय पुरूषों द्वारा एकाधिक पत्नी रखने का क्रम तेज हो रहा है। वे यह मानकर चलते हैं कि पुरूष प्रधान समाज में हर स्त्री अपनी आवाज को बुलन्द नहीं कर सकती। वे अपनी पत्नी को गांव में छोड़कर शहर में लड़की फांसने में लगे रहते हैं। कहीं ऐसा न हो कि आप ऐसे व्यक्ति के चक्कर में फंस जाएं।


न आप जान-समझ लें कि सम्बद्ध व्यक्ति कहीं आपसे शारीरिक संबंध बनाने को तो आतुर नहीं है? वह आपसे दुहरे आशय की बातें कर सकता है तथा सेक्स के प्रति आम होती धारणा का वास्ता दे सकता है। याद रखें कि भावनात्मक जुड़ाव के बिना कोई भी गठजोड़ गलत साबित हो सकता है।


न आप यह भी जान लें कि कहीं वह व्यक्ति आपकेा सोना-चांदी, बंगला-गाड़ी आदि का प्रलोभन देकर आपका मानसिक शोषण तो नहीं कर रहा है।


न शुरू से ही वह व्यक्ति आपके परिवारिक सदस्यों की आलोचना करे, अवहेलना करे और अपने परिवार की अनदेखी करे तो आप अनुमान लगा सकती हैं कि दाल में कुछ काला है। अपनी डफली और अपना राग कभी मधुर नहीं होता। दोनों ओर के परिवारों को विश्वास में लेकर कदम उठाना समय की मांग है और इससे आपको सुरक्षा तथा तसल्ली मिल सकती है।


क्षणिक आवेश व दिखावे का शिकार होकर भावना में बह जाना व गलत गदम उठा लेना आपके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।