स्वास्थ्य हेतु पैरों का बराबर होना आवश्यक


हम प्रतिदिन हजारों कदम चलते हैं। यदि हमारे दोनों पैर बराबर न हुए, एक पैर बड़ा और दूसरा छोटा हुआ तो निश्चित रूप से एक पैर पर अधिक दबाव पड़ता है। फलतः हमारे शरीर का दाहिना-बायाँ संतुलन बिगड़ने लगता है। शरीर की चाल बदल जाती है और बाह्य शारीरिक विकास असंतुलित होने लगता है।



इससे उठने, बैठने, खड़े रहने, सोने अथवा चलने फिरने की प्रक्रियाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। शरीर के किसी भाग पर अनावश्यक दबाव लगातार पड़ते रहने से वह भाग रोगग्रस्त हो सकता है। अधिकांश पैरों, कमर एवं गर्दन के रोगांें का प्रारंभ इसी कारण होता है फिर चाहे उसे साइटिका, स्लिप डिस्क, घुटने का दर्द, स्पांडिलायसिस आदि किसी भी नाम से क्यों न पुकारा जाता हो? जैसे ही दोनों पैरों को बराबर कर दिया जाता है, ऐसे अनेक पुराने असाध्य रोगों का उपचार सहज एवं प्रभावशाली होने लगता है।

पैर बड़े़-छोटे क्यों होते हैंै?
हमारा शरीर दाहिने एवं बायें बाह्य दृष्टि से लगभग एक जैसा लगता है परन्तु उठने-बैठने-खड़े रहने, सोने अथवा चलते फिरते समय प्रायः हम अपने बायें और दाहिने भाग पर बराबर वजन नहीं देते, जैसे खड़े रहते समय किसी एक तरफ थोड़ा झुक जाते हैं। बैठते समय सीधे नहीं बैठते। सोते समय हमारे पैर सीधे और बराबर नहीं रहते। स्वतः किसी एक पैर को दूसरे पैर की सहायता और सहयोग लेना पड़ता है। फलतः एक पैर के ऊपर दूसरा पैर स्वतः चला जाता है।


ऐसा क्यों होता है? अधिकांश व्यक्ति किसी भी एक आसन में लम्बे समय तक स्थिरतापूर्वक क्यों नहीं बैठ सकते? इसका मतलब उनका शरीर असंतुलित होता है। उनके पूर्ण नियंत्रण में नहीं होता। हम सीधे क्यों नहीं सो सकते? बार-बार करवटें क्यों बदलनी पड़ती हैं? निद्रा में पैर के ऊपर पैर क्यों चला जाता है?

पैरों को संतुलित करने की विधियाँ
विधि नं. 1- पैरों को संतुलित रखने का एक उपाय है कि हम बारी-बारी से बिना किसी सहारे एवं परेशानी के थोडे़ देर तक एक-एक पैर पर खड़़े रहने का अभ्यास करें। जब हम बारी-बारी से 15 से 20 मिनट तक एक के बाद एक पैर पर बिना किसी दर्द, पीड़ा के खड़े रहने का अभ्यास कर लेंगे तो हमारा शरीर संतुलित हो जाता है परंतु इस बात की अवश्य सावधानी रखेें कि शरीर के साथ किसी प्रकार की जबरदस्ती न हों। आसन सहज होने चाहिये जिससे शारीरिक और मानसिक तालमेल न बिगड़े़ परंतु ऐसा अभ्यास स्वस्थ व्यक्ति ही कर सकते हैं।



विधि नं. 2- गोदुहासन में बैठने के अभ्यास से दोनों पैर बराबर हो जाते हैं। दोनों घुटनों को मिला पंजों पर बैठने वाले आसन को गोदुहासन कहते हैं। पैरों का अंगूठा और अंगुलियों में शरीर के स्वनियंत्रित नाड़ी संस्थान के प्रतिवेदन बिंदु होते हैं। पैर के अंगूठे का संबंध गले से ऊपर की स्वनियन्त्रित नाड़ियों से होता है। अंगूठे के पास वाली पैर की सबसे बड़ी अंगुली का संबंध डायाफ्राम से गले के मध्य भाग वाली नाड़ियों से, मध्यवाली अंगुली का संबंध नाभि से, डायाफ्राम वाले भाग की नाड़ियों से, सबसे छोटी एवं मध्य वाली अंगुली के पास वाली अंगुलि का संबंध नाभि से मलद्वार वाले भाग की नाड़ियों से तथा सबसे छोटी अंगुली से होता है।