स्तनों का ढीलापन दूर करें


हम अपने संपूर्ण शरीर को देख-भाल नियमित रूप से करते हैं, लेकिन शरीर की रचना में सुंदर सुडौल वक्ष का अपना ही स्थान है। एक सुंदर सुडौल वक्षस्थल वाली नारी आत्म विश्वास से पूर्ण व संतुष्ट नजर आती है। दूसरी तरफ भारी भरकम या बहुत छोटे, लटके बदरंग वक्षस्थल वाली नारी हीन भावना से ग्रसित दिखती है।


पुरूष तो हमेशा सम्पूर्ण सुंदरता से पूर्ण नारी की चाहत अपने मन में रखते हैं व उन पर मोहित भी होते हैं लेकिन जिनके वक्षस्थल ढीले होते हैं वे तनाव में रहती है। तो क्यों न स्तन सौंदर्य बढ़ाएं व ढीलापन दूर कर आत्म विश्वास से पूर्ण होकर अपनी चिंता व बीमारी का खात्मा करें जिससे आप ग्रसित हैं


सुंदरता होती तो प्रकृति की ही देन है पर इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता। तो क्यों न प्रयत्न करके देखें। अच्छे संतुलित खान-पान का संबंध स्तनों से होता है। दालें, चना, हरी सब्जियां, फल, दूध, आदि का सेवन करें। कच्चा नारियल खाने से भी वक्षों का विकास होता है।


खुश रहने से शरीर का प्रत्येक अंग स्वस्थ रहता है। खुश रहकर हम स्वस्थ व सुडौल रह सकते हैं। छोटी-छोटी बातों पर चिंता व दुखी न होकर हंसें व हंसाएं।


अगर मासिक धर्म नियमित नहीं हो या कोई भी गड़बड़ी है तो लापरवाही न कर डाॅक्टर की सलाह लें क्योंकि मासिक धर्म के साथ ही स्तनों की विकास क्रिया शुरू होती है।



अधिक ढीली या कसी ब्रा वक्षस्थल की सुडौलता बिगाड़ती है। पैड वाली ब्रा का इस्तेमाल सही रहता है। ब्रा रोजाना पहनना ठीक है परन्तु रात में ब्रा न पहनना व स्तनों को ढीला छोड़ देना लाभदायक है। वक्षों की सुंदरता बनाए रखने के लिए हल्का फुल्का व्यायाम करें। जैसे हाथों का गर्दन तक, कुछ मिनट सीधे खड़े रहकर तन कर चलना अच्छे व्यायाम हैं। इनसे विकास होता है।


अक्सर स्तनों व ब्रा पर खुशबदार, पाउडर, क्रीम या परफ्यूम लगाते हैं ताकि पसीने की बदबू न आये। इससे स्तनों पर गलत प्रभाव पड़ता है। हो सके तो देशी चीजें उबटन या तेल, लगा कर मालिश करें। घरेलू पाउडर हल्का सा गरदन पर ही इस्तेमाल करें।


शिशु को लेट कर या झुककर दूध न पिलाएं, न ही एक ही साइड अर्थात-एक ही स्तन का दूध बार-बार न पिलाकर दोनों स्तनों का बदल-बदलकर पिलाएं। अगर आप शुरू से लेकर मां बनने के दिनांें तक अपने वक्षों पर समुचित ध्यान देंगी तो फिर स्तनों का सौदर्य उम्र-भर बना रहेगा। उतरेगा।