शिक्षित लड़कियों की समस्याएं

 




एक जमाना था जब लड़कियों को चैथी कक्षा के आगे पढ़ने नहीं देते थे। इसके कई कारण थे। एक था बाल विवाह की प्रथा। दूसरा कारण था मां बाप की यह शंका कि ज्यादा पढ़ने पर लड़कियों का चरित्रा बिगड़ जाएगा।
अब जमाना बदल चुका है। केरल जैसे राज्यों में इंजीनियरिंग, मेडिसिन, प्रबंधन जैसे विषयों के अध्ययन केंद्रों में लड़कियों की संख्या कहीं कहीं लड़कों की संख्या के बराबर है तो कहीं लड़कों की संख्या से अधिक है।
उक्त विषयों में उच्च उपाधियां प्राप्त लड़कियां कैंपस रिक्रूटमेंट द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों में उच्च वेतन पर नियुक्ति पाती हैं और दूरदराज के नगरों में काम करने के लिए बाध्य हो जाती हैं। यहीं से कुछ समस्याएं भी आ खड़ी हो जाती हैं।



अपरिचित महानगरों में आवास का प्रबंध खुद करना बहुत मुश्किल हो जाता है। कहीं होस्टल में सुविधा मिलती है तो कहीं पेइंग गेस्ट के रूप में किसी परिवार के साथ रहना होता है। आवास स्थान यदि कार्यस्थल से बहुत दूर हो तो वहां तक बस, ट्राम या ट्रेन में सफर करना पड़ता है। किसी किसी कंपनी में देर रात तक काम करना होता है। उसके बाद कोई कोई कंपनी अपने कार्मिकों को निवास स्थान तक पहुंचाने के लिए वाहन प्रबंध करती है पर कभी कभी वाहन में किसी किसी लड़की को अकेले यात्रा करनी पड़ती है, वह भी रात के समय। उसके मन में किस-किस बात का डर लगता होगा, इसका अनुमान भुक्तभोगी ही कर सकते हैं।



पढ़ाई के बाद नौकरी में लग जाते जाते लड़की की आयु चैबीस पच्चीस साल तक हो ही जाती है। घर वालों को उसकी शादी की चिंता सताने लगती है। उसके लिए समाचार पत्रों में या इंटरनेट में विज्ञापन देते हैं। मान लीजिए लड़की ने बी.टेक करके एम.बी.ए किया है और प्रति मास एक लाख रुपये का वेतन पाती है। वह यही चाहेगी कि किसी ऐसे लड़के के साथ उसकी शादी हो जो शिक्षा और ओहदे में उससे उच्च या कम से कम उसके समकक्ष हो पर जो लड़के इतनी ऊंची शिक्षा पा चुके हों और इतने अच्छे ओहदे पर हों, वे यही चाहेंगे कि ऐसी लड़की से शादी करें जिसको दहेज में बड़ी भारी रकम, बहुत ज्यादा गहने या बहुत सारी जायदाद मिले। जो लड़कियां सामान्य परिवार की हैं वे इतना अधिक दहेज कैसे दें। और यदि उसने शिक्षा के लिए बैंक से बड़ी रकम उधार ली हो तो?



शादी के बाद भी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। मान लीजिए लड़की कोलकाता में काम करती है और लड़का मुंबई में। यदि किसी एक का तबादला दूसरी जगह नहीं हो पाता तो उनका घर कैसे बस पाएगा? ऐसी हालत में लड़का लड़की को नौकरी से इस्तीफा देने के लिए प्रेरित कर सकता है पर सामान्यतः लड़कियां इतनी अच्छी नौकरी छोड़ने के लिए तैयार नहीं होगी। यहां से मनमुटाव प्रारंभ हो सकता है। यह मनमुटाव यदि बढ़ता गया तो तलाक तक की गुंजाइश हो सकती है न?



अब मान लीजिए कि दोनों को एक ही स्थान पर नौकरी करने की सुविधा मिल गई। अब लड़की के घर वाले यही चाहेंगे कि लड़की जल्द से जल्द मां बन जाए। यहां भी समस्याएं जुड़ी हो सकती हैं। कोई कोई कंपनी प्रसूति की छुट्टी नहीं देती या तो काम पर लगी रहो या नौकरी से इस्तीफा दे दो।
मेरी जान पहचान की एक लड़की अपने पति के साथ अमेरिका में बस गई है। पति पत्नी दोनों इंजीनियर हैं। दोनोें को अच्छा पे-पैकेज मिलता है। फ्लैट खरीद लिया है। आराम का जीवन बिता रहे हैं। हाल ही में उनके निमंत्रण पर लड़की के मां-बाप तीन महीने के प्रवास के लिए उनके यहां गए।
मां ने एक दिन बेटी से कहा-तुम दोनों की शादी हुए चार वर्ष बीत चुके हैं। अब गर्भधारण में विलंब करना उचित नहीं। अगले साल तक एक संतान उत्पन्न होनी चाहिए। तुम्हें तो अपनी कंपनी से प्रसूति की छः महीने की छुट्टी मिल सकती है, वेतन सहित। फिर क्या समस्या है?



बेटी ने कहा- हम भी चाहते हैं कि एक संतान हो पर बात यह है कि छः महीने की छृट्टी के बाद जब मैं नौकरी करने लगूंगी, तब संतान की रखवाली कौन करे? शिशुओं की रखवाली के लिए डे केयर होम हैं जो बड़ी फीस वसूल करते हैं। उनकी मांगी फीस तो दे देंगे पर वे शाम के छः बजे तक ही शिशुओं की रखवाली करते हैं। ठीक छः बजे शिशुओं के मां-बाप आ कर उन्हें लौटा ले जाते हैं। मेरी कंपनी में रात के आठ बजे तक का कार्य समय है। हसबैंड भी आठ बजे के बाद ही आ पाएंगे। क्या आप एक साल हमारे साथ रह सकेंगी? माताजी असमंजस में पड़ जाती हैं। कहती हैं- यह कैसे हो सकता है? तेरे पापाजी अपना बिजनेस छोड़ कर इतनी लंबी अवधि तक यहां कैसे रह पाएंगे? उनकी सेवा शुश्रुषा के लिए मुझे उनके साथ रहना होगा न?