संतुलन जरूरी है कैरियर और परिवार में


आधुनिक भाग दौड़ के जीवन में पति पत्नी दोनों का काम करना जरूरत के साथ स्टेटस सिंबल भी बन चुकंा है। विवाह से पूर्व कोई भी नहीं सोचता कि अगर हम दोनों कामकाजी रहेंगे तो आगे परिवार को बड़ा कर जिम्मेदारियां कैसे निभा पाएंगे। अगर जवान जोड़े को कोई समझाने लगे तो उन्हें बहुत बुरा लगता है।


यह तो स्पष्ट है कि कामकाजी महिला पर घर और बाहर दोनों का बोझ होता है। ऐसे में पति और परिवार के अन्य सदस्य कामकाजी महिला के साथ सहयोग करेंगे तो बच्चे, पति,पत्नी और परिवार खुश रह पाएगा। विशेषकर घर की खुशहाली हेतु पति-पत्नी का सहयोग तो जरूरी है।


आज की नारी सिद्ध कर चुकी है स्वयं को:-


एकसाथ काम करने की क्षमता भगवान ने महिलाओें को दी है। वे नौकरी और घर परिवार दोनों को पूरी कुशलता से निभाती हैं। बच्चों की परवरिश भी वे कुशलता से करती हैं। स्वभाव से संवेदनशील होने पर भी पुरूष से ज्यादा मजबूत होती हैं। बच्चों की खातिर अब महिलाएं अपना कैरियर नहीं छोड़ती। बहुत सी महिलाओं को तो अच्छा लगता है नौकरी कर घर आना और बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना।


उनका मानना है कि घर रहकर भी औरतें सारा दिन बच्चों के साथ नहीं रह पाती बल्कि घर रहकर सारा दिन काम करके औरतें चिड़चिड़ी हो जाती हैं। बच्चे और परिवार वाले उनसे अधिक अपेक्षा रखते हैं तो उनका गुस्सा बच्चों पर निकलता है। ऐसे में बाहर जाकर काम कर घर आने का इंतजार बच्चों को और हमें रहता है। फिर मिलजुल कर घर का काम भी हो जाता है और बच्चों के साथ समय भी अच्छा बीतता है।


मन में गिल्ट न पालें:-


अगर आप नौकरी कर रही हैं तो यह गिल्ट न पालें कि आप बच्चों को सुसंस्कार नहीं दे पा रही हैं। संस्कार देना केवल मां का ही काम नहीं, पिता का भी उतना फर्ज है जितना माता का।


मिलकर बच्चों को संस्कारित बनाएं, ऐसा मानना है बाल मनौवैज्ञानिकों का। जितना समय आपको मिलता है, उसे बच्चों के साथ सकारात्मक रूप से हंसीखुशी से बिताएं। बस यह ध्यान रखें आफिस से काम घर पर न लाएं, काम अधिक हो तो अपने लंच समय का उपयोग करें या आधा एक घंटा अधिक रूक कर काम समाप्त कर घर निश्चित होकर आएं।



प्लानिंग कर चलें:-


दोनों मोर्चों को संभालने के लिए व्यवस्थित होना बहुत जरूरी है, तभी दोनों में संतुलन बना रह सकता है। नई तकनीकों का लाभ उठाएं, राशन इकट्ठा लेकर रखें, सब्जी-फल भी सप्ताह भर का लेकर रखें, आनलाइन शाॅपिंग करें, टेलीफोन कर होम डिलीवरी दुकानों का लाभ उठाएं ताकि छुट्टी वाले दिन बाहरी काम कम निपटाने पड़ें घर पर बच्चों के साथ उस समय का आनंद उठाएं। घर के काम के लिए किसी की सेवा ले सकती हैं जैसे डस्टिंग, चाॅपिंग, वाशिंग, सफाई, बर्तन की सफाई आदि के लिए। छोटे छोटे कामों में अपना श्रम और समय न गवंा कर उसका सही उपयोग करें।


कामकाजी महिलाओं का खुश रहना जरूरी है तभी घर में भी खुशी दे सकती हैं। सामंजस्य बिठाएं, परिस्थितियों को स्वीकारें, परफेक्शन की दौड़ से बाहर रहें। अपनी और परिवार की प्राथमिकताओं को पहचानें, अपनी सीमाओं को पहचानें, सबसे तालमेल बैठाएं। तभी घर और कैरियर के बीच संतुलन रखा जा सकता है।


जरूरत नहीं परफेक्ट बनने की:-


कैरियर और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखने हेतु आवश्यकता है दो बातों की। पहली बात है सुखी वैवाहिक जीवन की आपकी परिभाषा और दूसरी आपकी प्राथमिकताएं। क्या वैवाहिक जीवन को सुखी बनाए रखने के साथ-साथ घरेलू जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम हैं या दोनों के बीच संतुलन बना सकती हैं। नौकरी करना आर्थिक रूप से आपके लिए जरूरी है या अपनी योग्यता को सार्थक बनाना है। अगर आपको घर और कार्यक्षेत्र दोनों को ही संभालना है तो अपने भीतर अपराधबोध की भावना न लाएं, न ही परफेक्ट बनने का प्रयास करें। परिस्थिति अनुसार स्वयं को ढालें। कामकाजी महिला को अपने से जो अपेक्षाएं हैं, वे वास्तविक होनी चाहिए न कि सुपर वुमन बनने की। यह जरूरी नहीं कि आप हर क्षेत्र में परफेक्ट हों। हर कार्यक्षेत्र में समझौता करने की नीति जरूर अपनाएं नहीं तो स्वयं दुखी रहेंगी। नौकरी पर तो समझौता अधिक नहीं कर सकती। बच्चों और पति को अपनी स्थिति से वाकिफ कराएं ताकि गाड़ी स्मूद चले। बिना उनकी मदद के सामंजस्य स्थापित करना मुश्किल होता है।