प्रकृति की अनुपम भेंट है तुलसी


विश्व भर में तुलसी की अनेक किस्में पायी जाती हैं। भारत में विशेष रूप से दो प्रकार की तुलसी पायी जाती है-हरी तुलसी एवं काली तुलसी।


हिन्दू लोग तुलसी की पूजा करते हैं। ईसाई समाज में भी तुलसी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि ईसा मसीह की कब्र पर तुलसी स्वयं ही उग आई थी इसलिए इस समाज द्वारा सेंट बेसिल्स डे मनाया जाता है। इस दिन वे लोग भोजन में तुलसी का प्रयोग करते हैं।


इसके अलावा आयुर्वेद चिकित्सा में प्रयोग किए जाने वाले लगभग 600 पौधों में तुलसी अपना विशेष स्थान रखती है। यह अनेक रोगों में प्रयोग में लाई जाती है।



  • तुलसी का पौधा घर में लगाने से सांप, बिच्छू, कीड़े-मकौड़े, मक्खी एवं मच्छर नहीं आते।

  • तुलसी की जड़ों की मिट्टी त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

  • प्रतिदिन इसकी चार-पांच पत्तियां खाने से खून शुद्ध रहता है और कोई रोग होने का भय नहीं रहता।

  • यदि किसी पुरूष का वीर्य पतला हो तो दो-तीन ग्राम तुलसी के बीज सेवन करने से लाभ होता है।

  • दाद, खाज, खुजली होने पर तुलसी एवं नींबू का रस मिलाकर लगाएं। इससे शीघ्र ही इन रोगों से निजात पाई जा सकती है।

  • पेट दर्द होने पर अदरक व तुलसी का रस बराबर मात्रा में मिलाकर गर्म करके सेवन करें। इससे पेट दर्द जल्दी समाप्त हो जाता है।

  • तुलसी की पत्तियों को काले नमक के साथ सेवन करने से पेट का हाजमा ठीक रहता है।




  • चेहरे की झाइयां दूर करने हेतु तुलसी का अर्क और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर प्रतिदिन चेहरे पर लगाएं।

  • सिर में जुएं हो जाएं तो तुलसी एवं नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाएं। इससे जुओं से छुटकारा मिलता है।

  • तुलसी के रस से गले का दर्द ठीक हो जाता है।

  • अधिक खांसी होने पर थोड़ा-सा अदरक एवं 5-6 पत्तियों को एक जग पानी में उबालें। अच्छी तरह उबल जाने पर उसे छान लें। फिर इसमें डेढ़-दो चम्मच शहद मिलाएं। इसे थर्मस या किसी ढक्कन वाले बर्तन में भरकर रख लें। इसे थोड़ी-थोड़ी देर के बाद पीने से काफी लाभ पहुंचता है।

  • तुलसी का अर्क वायु विकार दूर करता है।

  • मलेरिया के रोगी को काली तुलसी का अर्क दिया जाए तो बुखार कम हो जाता है।

  • श्वास, दमा व निमोनिया के रोगों में तुलसी का अर्क काफी लाभदायक है।

  • तुलसी का पौधा घर में लगाकर रखने से कई फायदे होते हैं। इसकी 4-5 पत्तियां नित्य सेवन करने से रोग पास नहीं फटकते। यह अपनी खूशबू से हवा को शुद्ध करती है।