प्रदर रोग का घरेलू उपचार


मासिक धर्म के अलावा स्त्रियों के योनि मार्ग से सफेद, पीला या लाल स्राव का गिरना एक बीमारी है जिसे ल्यूकोरिया या प्रदर रोग कहा जाता है। यह रोग दो प्रकार का होता है श्वेत प्रदर तथा रक्त प्रदर। श्वेत प्रदर से ग्रसित महिला की योनि से सफेद पानी सा लिसलिसा स्राव गिरता रहता है। किसी किसी महिला का अधोवस्त्र स्राव के कारण गीला हो जाता है जिसके कारण उसे दिन भर में कई बार अधोवस्त्र बदलना पड़ता है।



रोग ग्रस्त स्त्री की आंखें अंदर को धंस जाती हैं। चेहरा पीला पड़ जाता है। पिंडलियों में दर्द होता है। गर्भाशय कमजोर हो जाता है जिसके कारण गर्भाधान नहीं होता। अगर गर्भाधान हो गया तो कमजोर बच्चा पैदा होता है। रक्त प्रदर में योनि मार्ग से लाल या पीला स्राव गिरता है। अन्य लक्षण श्वेत प्रदर के जैसे ही होते हैं। यह रोग अधिक सहवास करने, अश्लील साहित्य पढ़ने या अश्लील फिल्म देखने, गर्भपात तथा अस्वास्थ्यकर वातावरण में रहने से होता है।



शर्म के मारे महिलाएं रोग के बारे में किसी को नहीं बतलाती और परेशानी झेलती रहती हैं। इस रोग से महिलाओं को काफी हानि उठानी पड़ती है। नीचे इस रोग के कुछ घरेलू उपचार बतलाए जा रहे हैं जिनका सेवन करके आसानी से आप रोग मुक्त हो सकती हैं:-



  • गूलर के फल को सूखाकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसके साथ समभाग मिश्री का चूर्ण मिलाकर रख लें। 6-6 ग्राम सुबह शाम सेवन करें। लाभ प्राप्त होगा।

  • 10 ग्राम फिटकरी तवे पर भून लें तथा पीसकर चूर्ण बना कर 30 पुड़िया बना लें। 1-1 पुड़िया सुबह-शाम पानी से लें।

  • 100 ग्राम जामुन की छाल को सुखाकर कूट पीसकर महीन चूर्ण बना लें। इसमें समभाग मिश्री मिलाकर रख लें। 3-3 ग्राम दिन में दो बार लें।

  • एक चम्मच तुलसी के पत्तों के रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर दिन में तीन बार (सुबह-दोपहर‘-शाम) सेवन करें।

  • 50 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण तीन सौ ग्राम पानी में पकाएं। जब पानी जलकर आधा बच जाय तो उसे ठंडा करके किसी साफ बोतल में रख लंे। दवा में थोड़ा शहद मिलाकर दिन में दो बार 2-2 चम्मच सेवन करें।

  • बंसलोचन 20 ग्राम, नागकेसर-20 ग्राम, छोटी इलायची 10 ग्राम तथा मिश्री 20 ग्राम। सबको महीन पीसकर रख लें। 1/2-1/2 चम्मच सुबह-शाम पानी से सेवन करें।

  • चन्द्रप्रभा वटी 1-1 गोली दिन में तीन बार लें तथा सुबह शाम खाने के बाद 2-2 चम्मच अश्वगंधारिष्ट समभाग पानी मिलाकर सेवन करें।

  • 20 ग्राम अशोकारिष्ट में 20 ग्राम पानी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। रोग नष्ट होगा।