पति पत्नी आपस में टकराव



रिश्ता पति-पत्नी का हो और वे कभी आपस में लडे़ं झगड़ंे नहीं, इस बात पर यकीन करना किसी के लिए मुमकिन नहीं है। किसी न किसी बात को लेकर यह स्थिति तो उत्पन होती ही है। वैसे पति पत्नी के बीच झगड़े या टकराव का कारण बच्चे या परिवार के दूसरे भी होते हैं। बात बेबात इस आपसी नोक झोंक से घर की शांति तो भंग होती ही है, कई दूसरी समस्याएं भी जन्म लेती हैं। कई बार तो परिवार टूटने तक की नौबत आ जाती है।
ऐसे पतियों की तो आसपड़ोस में कहीं भी गिनती की जा सकती है जो सुबह घर से निकलते समय पत्नी से वादे तो कर जाते हैं मगर निभा नहीं पाते। तिस पर घर आते ही इतना साफ झूठ बोलते हैं कि पत्नी को यकीन न कर पाने का काई दूसरा कारण नजर नहीं आता। इस बात को लेकर भी घर परिवार में पति और पत्नी के बीच अक्सर टकराव होते देखे गये हैं।



पति के अलावा पत्नी भी कमाने वाली हो, वह भी सुबह से शाम तक घर से बाहर रहती हो तो कार्यालय से वापसी पर पत्नी की इच्छा भी स्वाभाविक है कि पति उसके काम में कुछ सीमा तक सहयोग अवश्य करे। नौकरी की जिम्मेदारियों और बच्चों के पालन पोषण की कठिनाइयों के संबंध में लता दुखी मन से यह कहना नहीं भूलती कि परिवार के सभी सदस्य यह तो चाहते हैं कि वह नौकरी करे मगर घर की सारी उलझनों को भी निबटाना नहीं भूले। वह घर और बाहर दोनों जगह के कामों को बखूबी संभालती रहे। यदि वह कभी घर देर से आती है तो परिवार के सदस्य अलग ताने देते हैं। उसके चरित्र पर शक किया जाता है।



पति और पत्नी एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करना सीख लें तो कोई अन्य कारण नहीं कि संबंधों को दरार और टूटन से नहीं बचाया जा सके। इसके लिए यह भी जरूरी है कि एक दूसरे की उपेक्षा, उपहास और तिरस्कार करने की भावना मन मस्तिष्क से हमेशा के लिए निकाल दें। मेहमानों के सामने बात बेबात मजाक का पात्र नहीं बनाये।




पति पत्नी के मध्य संबंधों की मधुरता बनाये रखने के लिए यह भी आवश्यक है कि पत्नी को चाहिए कि वह पति के सामने किसी परपुरुष की सुन्दरता और स्मार्टनेस की बेवजह चर्चा न करे। पतियों को भी चाहिए कि वे पत्नी के समक्ष किसी और स्त्री की खूबसूरती और कमनीयता की बात न करें वरना बातचीत का खुशगवार माहौल एक दूसरे पर छींटाकशी और व्यंग्य बाण के माहौल में बदल सकता है।



आप में यदि कभी किसी कारणवश मतभेद या टकराव की स्थिति आये भी तो भूले से भी कभी तीसरे व्यक्ति की मध्यस्थता कबूल नहीं करनी चाहिए और किसी को हस्तक्षेप का अवसर नहीं देना चाहिए क्यांेकि ऐसी स्थिति में उस तीसरे व्यक्ति का कोई फैसला कितना सम्मानजनक और उपयोगी साबित होगा, यह आप दोनों के लिए निर्णय करना कठिनाई पैदा कर सकता है। यह एक अनसुलझी स्थिति को ही जन्म देगा। इस से भी अहम् बात तो यह है कि एक पति और पत्नी एक दूसरे को जितनी अच्छी तरह जानते-समझते हैं कोई तीसरा व्यक्ति इन सारी बातों और स्थितियों से कैसे परिचित हो सकता है।



इसलिए जब कभी टकराव की हालत सामने आये, पति-पत्नी दोनों को चाहिए कि वे अपनी अपनी गलतियों को मानते हुए समझौता कर लें। इससे आप ही नहीं, परिवार के दूसरे सदस्य और बच्चे भी तनाव से मुक्त हांेगे। पति पत्नी के झगड़े झंझट का बच्चों के शरीर और दिमाग पर अत्यधिक बुरा प्रभाव पड़ते देखा गया है इसलिए ऐसी स्थिति से भरसक बचें। समाज और आस पड़ोस में ऐसे लोग भी कम नहीं होते जो आपकी बातों को सुनकर मुंह पर भले ही सुखद और सहानुभूति प्रकट करें किन्तु अप्रत्यक्ष रूप से वे बाहर जाकर हंसी ठिठोली में आपके किस्से को प्रचारित करते नहीं थकते।



सुखी और शान्तिपूर्ण दांपत्य जीवन के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि पति और पत्नी एक दूसरे के विचारों और व्यवहारों तथा रूचियों को अच्छी तरह समझें और परिस्थितियों से समझौता करके एक दूसरे के प्रति ज्यादा से ज्यादा सहयोगपूर्ण रवैय्या अपनायें। मेरे कथन का एक मात्र आशय यह है कि घर-परिवार में यदि पति और पत्नी के बीच टकराव का माहौल बने भी तो यह कोई ऐसी विकट समस्या नहीं है कि इसका हल संबंध विच्छेद ही मान लिया जाये।