मेनोपाज के बाद भी रखें स्वयं को आबाद


रजोनिवृत्ति स्त्री शरीर की आवश्यक प्रक्रिया है लेकिन अधिकांश महिलाओं को अपनी शारीरिक संरचना के विषय में ज्ञात नहीं होता, अतः रजोनिवृत्ति के कारण को नहीं समझ पाने के कारण इसे स्वीकार नहीं कर पातीं तथा अनेक शारीरिक एवं मनो-वैज्ञानिक समस्याओं से घिर जाती हैं।


रजोनिवृत्ति या मेनोपाज के समय में स्त्री के शरीर में अनेक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। यह अवस्था 45 से 50 वर्ष के मध्य चलती है। इस अवस्था में स्त्री के अंडकोष में एक भी अंडा नहीं बचता और हारमोन भी समाप्त हो जाते हैं। मुख्य रूप से एस्ट्रोजन हारमोन कम होता है। इसकी कमी से शरीर में अनेक परिवर्तन होते हैं। अचानक गर्मी लगना, विशेषतौर पर मुंह, हाथ, माथा और छाती से गर्मी-सी निकलनी महसूस होती है। मुंह लाल हो जाता है और थोड़ी देर में सामान्य भी हो जाता है। अत्यधिक पसीना आने लगता है। रात के समय यह समस्या अधिक बढ़ जाती है तथा स्त्री हर समय तनाव में रहने लगती है।


इस समय स्त्री के स्तनों का आकार बदल जाता है, जननांग सिकुड़ जाते हैं और संभोग की इच्छा कम हो जाती है। कई स्त्रियों में इस समय सम्भोग की इच्छा अत्यन्त तीव्र हो जाती है। कैल्शियम की कमी होने के कारण हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। मेनोपाज के बाद दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। मानसिक तनाव के कारण मोटापा बढ़ जाता है जो मधुमेह पित्ताशय की पथरी आदि को जन्म दे सकता है। इस दौरान असावधानी बरतने के कारण गर्भ ठहरने की स्थिति भी आ सकती है।


रजोनिवृत्ति स्त्रियों के लिए एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसे स्त्रियों को मन से स्वीकार लेना चाहिए। यह अवस्था स्त्री के जीवन का एक नया आयाम है। इस अवस्था के कारण महिला को प्रत्येक माह जो तकलीफें या असुविधा झेलनी पड़ती थीं, वे समाप्त हो जाती हैं। मेनोपाज के बाद स्त्री को अपने स्वास्थ्य का ध्यान आवश्यक रूप से रखना होता है। दूध, कैल्शियम, हरी सब्जी, विटामिन आदि को अपने आहार में पूरा-पूरा स्थान देना चाहिए।


आधुनिक विज्ञान ने हारमोन्स की कमी के कारण होने वाली तकलीफों का निदान भी ढूंढ़ निकाला है। हारमोन्स प्रत्यारोपण, हारमोन्स-चिप लगाना आदि अनेक विधियां हैं जिससे स्त्री के शरीर को पुनः शक्ति प्राप्ति होती है किन्तु इस चिकित्सा को किसी सुयोग्य ’एन्डोक्राइनोलोजिस्ट‘ की देख-रेख में ही कराना चाहिए।



कई महिलाओं का यह सोचना होता है कि रजोनिवृत्ति के बाद सम्भोगीय प्रक्रिया अत्यन्त ही जटिल हो जाती है और इस समय अत्यन्त कष्ट का सामना करना पड़ता है परन्तु ऐसी बात नहीं है। योनि मार्ग के तंग हो जाने एवं हार्मोन्स-स्राव की कमी के कारण योनि मार्ग रूखा अवश्य हो जाता है किन्तु अनेक प्रकार की क्रीम आती हैं जिनके प्रयोग से इन तकलीफों को दूर किया जा सकता है।


रजोनिवृत्ति काल में स्तनों में दर्द व गांठों का बनना भी हो सकता है। इससे घबराना नहीं चाहिए। यह आवश्यक नहीं है कि ये गांठ कैंसर की ही हों। हारमोन्स की कमी से भी गांठंे व दर्द हो सकता है। ऐसा होने पर अविलम्ब चिकित्सक से सलाह ले लेनी चाहिए।


इस समय स्त्री को पारिवारिक सद्भावना एवं सहयोग की अत्यन्त आवश्यकता होती है। इस स्थिति में बहू और बेटी को अपनी मां के प्रति समझदारी पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। इस समय पति की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण होती है। जिस प्रकार वैवाहिक जीवन के आरंभिक दिनों में पत्नी का ध्यान व लगाव रखा जाता है, शायद इस समय उससे ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।


मेनोपाज के बाद स्त्री को अपने आहार के साथ-साथ इस बात का अधिक ध्यान रखना चाहिए कि उसे मानसिक तनाव न होने पाये। पूजा-पाठ, प्रातः सायं टहलना, नियमित आवश्यक व्यायाम, पौष्टिक भोजन आदि के माघ्यम से अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए पूर्ववत ही शारीरिक व मानसिक सुखों का लाभ उठाया जा सकता है।