क्या आप भी स्वस्थ रहना चाहेंगे?


जी हां! आज के समय में स्वस्थ रहने की इच्छा किसे नहीं होती? ’हेल्थ इज वेल्थ‘ कहकर यह प्रमाणित किया जा चुका है कि ’स्वास्थ्य ही धन‘ है। ’जीवेमः शरदः शतम्‘ कहकर वेदों में भी सौ वर्षों तक जीने की कामना की गई है। इतना सब कुछ जानते हुए भी हम बीमारियों के चंगुल में फंसते जा रहे हैं और अपनी स्वस्थ रहने की कामनाओं को अस्वस्थता के कब्र में दफनाते जा रहे हैं।


स्वस्थ रहने के लिए आहार-विहार, योग-व्यायाम के साथ ही नियमित दिनचर्या का होना भी आवश्यक है। आज के भाग-दौड़ वाली जिन्दगी में ’चैन‘ नाम की कोई वस्तु ही नहीं रह गई है। ’समय का अभाव‘ कहकर हम फास्ट लाइफ बिताने लगते हैं और फास्ट फूड, फास्ट लाइफ एवं फास्ट एंजायमेंट की ओर हमारा कदम स्वतः ही बढ़ जाता है। परिणाम स्वरूप बीमारियां भी फास्ट ही आती हैं और हमारा जीवन अस्वस्थता की ओर बढ़ने लगता है। अगर आप भी पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने की इच्छा रखते हैं तो निम्नांकित बिन्दुओं पर ध्यान देकर तदनुरूप अपनी दिनचर्या को अवश्य ही निर्धारित करें:-



  • प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर, भ्रमण, योग एवं व्यायाम अवश्य करें। इससे शरीर के साथ ही फेफड़ों को भी स्वच्छ वायु की खुराक मिल जाती है और फेफड़े अस्वस्थ होने से बचे रहते हैं।

  • रात्रि में दस बजे तक सभी कामों को निपटाकर शयन की योजना बनायें। ’जल्दी सोना, जल्दी उठना‘ के सूत्र को अपनाकर स्वास्थ्य को स्वस्थ रखा जा सकता है।




  • अपने भोजन में घी, मक्खन आदि की अपेक्षा हरी सब्जियों का सूप, रेशेदार फल एवं सब्जियां, दही, फलों का जूस, सलाद, मठ्ठा (छाछ) अधिकारिक लेकर स्वास्थ्य को स्वस्थ रखा जा सकता है।

  • नाश्ता, भोजन आदि के लिए एक उचित समय देना आवश्यक है। बकरी की तरह मुंह चलाते रहने की अपेक्षा एक निर्धारित समय पर ही नाश्ता, भोजन आदि लेते रहने से शरीर स्वस्थ एवं सुडौल बनता है।

  • वैवाहिक जीवन में सेक्स एक अत्यंत आवश्यक तत्व है किन्तु सेक्स को मनोरंजन की एक क्रिया मानकर प्रतिदिन सम्भोग कर वीर्यपात करना स्त्री-पुरूष दोनों के ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार सप्ताह में एक से दो दिन मैथुन कर वीर्यपात करना ही श्रेयस्कर होता है।

  • प्रसिद्ध कामशास्त्री एन.डी. मेहरोत्रा के अनुसार पति-पत्नी के बीच शयन से पूर्व प्रतिदिन ’केलिक्रीड़ा‘, अंगों का स्पर्श एवं सहलाना स्वास्स्थ्य के लिए रामबाण सिद्ध होता है। इससे रात्रि के समय उचित हारमोनों का रिसाव होता है और शरीर के अंग पुष्ट होकर सुन्दरता में वृद्धि करते हैं।

  • अविवाहित स्त्री-पुरूषों (युवक- युवतियों) के मन में उठने वाली सेक्सपरक भावनाएं उनके मनोबल के साथ ही स्वास्थ्य को भी अस्वस्थ करने वाली होती हैं। इन्हें अपने मन में स्वच्छ एवं आध्यात्मिक भावों का संचार करना चाहिए।




  • अपने टायलेट एवं बाथरूम की उचित सफाई पर भी ध्यान देकर स्वयं को या अपने परिवार के सदस्यों को अस्वस्थ होने से बचाया जा सकता है। टायलेट में गुप्तांग खुले होने के कारण वहां के जीवाणुओं के सम्पर्क में आकर संक्रमित होकर आपको अस्वस्थ कर सकते हैं।

  • स्वस्थ रहने के लिए यह आवश्यक है कि पति-पत्नी दोनों को ही मैथुन क्रिया के उपरान्त उठकर मूत्र त्याग करके अपने अपने गुप्तांगों की सफाई कर लेनी चाहिए। मैथुन क्रिया के उपरान्त जल पीना अत्यन्त हानिकारक माना जाता है। गर्म दूध पीने से शरीर की खपत हुई ऊर्जा पुनः वापस आ जाती है।

  • सकारात्मक सोच स्वस्थता की अनमोल कड़ी मानी जाती है। हमेशा सकारात्मक सोच को अपनाकर काम करने वाले पुरूष-महिलाओं के शरीर में ऐसे हारमोनों का रिसाव होता है, जिससे तन-मन दोनों ही निरोग रहते हैं, साथ ही शारीरिक सौष्ठव में भी वृद्धि होती है। स्मार्ट एवं पूर्ण ही शारीरिक सौष्ठव में भी वृद्धि होती है। स्मार्ट एवं पूर्ण स्वस्थ रहने की कामना तभी सफल हो सकती है, जब आप भी ऐसा करें।