पौष्टिक आहार सेहत के लिए जितना आवश्यक है उतना ही आवश्यक है कि बीमार होने पर क्या खाया जाए और क्या नहीं। इस बारे मंे अधिकतर लोग लापरवाही बरतते हैं। खाना हमें ऊर्जा तो देता है पर गलत खाने की आदतें हमारे स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालती हैं। आइए जानें कि किस बीमारी में क्या खाएं, किसका परहेज करें।
मजबूत दांतों के लिए:-
दांतों को साफ और चमत्कार रखने के लिए आवश्यक है दो बार दांतों की सफाई, एक बार रात्रि में सोने से पहले और दूसरी बार प्रातःकाल में। दांतों की सफाई के ंसाथ पौष्टिक आहार भी जरूरी है दांतों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए। पौष्टिक और संतुलित आहार दांतों को सड़ने और मसूड़ों की सुरक्षा के लिए जरूरी है।
क्या खाएं:-
- कोई ठोस आहार खाएं तो उसे खूब चबा चबा कर खाएं। कुछ फल जिन्हें चबाचबा कर खाया जाए तो हमारे मसूड़े स्वस्थ रहते हैं जैसे अमरूद, सेब, नाशपाती। जिनके मसूड़े और दांत कमजोर हो तो वह उन्हें पतला पतला काट कर खाएं, कद्दूकस कर खाएं। मिक्सी मंे थोड़ा सा पानी डालकर चर्न कर खाएं। इसी प्रकार गाजर, मूली, शलजम, चुकंदर, खीरा, ककड़ी आदि भी लें।
- कैल्शियम युक्त आहार लें जैसे दूध, दही,पनीर आदि।
- विटामिन ई और सी से भरपूर फल और सब्जियां लें। इसके अतिरिक्त मैग्नीशियम, फास्फोरस, बीटा केरोटिन और विटामिन ए युक्त आहार भी लें।
- सीमित मात्रा में एक या दो कप चाय दांतों के लिए ठीकं है। इसमें मौजूद फ्लोराइड दांतों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
क्या न खाएं:-
- साॅफ्ट ड्रिंक्स, हार्ड डिंªक्स, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से बने स्नैक्स और एसिडिक ड्रिंक्स का सेवन न करें।
दांतों में फंसने वाले खाद्य पदार्थ अधिक सख्त और सूखे खाद्य पदार्थ।
डायबिटीज में क्या खाएं क्या नहीं:-
डायबिटीज एक ऐेसा रोग है जो शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है, विशेषकर किडनी, दिल, आंखों आदि को। हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए ग्लूकोज जरूरी होता है। जब हमारे शरीर में ग्लूकोज का चय उपायचय करने के लिए आवश्यक इंसुलिन हार्मोन का óाव नहीं होता तो मधुमेह रोग पनपता है। मधुमेह रोग में इंसुलिन पैदा करने वाले सेल्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। मधुमेह दो प्रकार का होता है टाइप वन और टाइप टू। टाइप वन मधुमेह अक्सर बच्चों को और टाइप टू मधुमेह सामान्यतः व्यस्कों को होता है। टाइप टू डायबिटीज ज्यादा काॅमन है।
क्या खाएं:-
- खाना नियमित अंतराल पर खाएं।
- खाने मंे अनसैचुरेटेड फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइडेªट का संतुलन जरूरी है।
- रेशेयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। लो फैट के खाद्य पदार्थ खाएं। वजन पर नियंत्रण रखें।
- कार्न, दूध, दही, बीन्स, दालों, मटर का सेवन करें।
क्या न खाएं:-
- सैचुरेटेड फैट युक्त भोज्य पदार्थों का सेवन न करें।
- मिठाई, केक, पेस्ट्री, तले हुए स्नैक्स का सेवन न करें।
स्ट्रेस में क्या खाएं, क्या न खाएं
स्टेªस का अर्थ क्षमता से अधिक अपने शरीर पर दबाव और जानते हुए भी नजरअंदाज करना स्टेªस कहलाता है। स्टेªस होने की स्थिति में शरीर को पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है ताकि शरीर में तनाव से लड़ने की शक्ति, ऊर्जा मिल सके और आए हुए स्टेªस का प्रभाव कम हो सके।
ऐसे में क्या खाएं:-
- विटामिन सी का सेवन नियमित करें। विटामिन सी से ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है और शरीर में स्टेªस हार्मोंस का óाव कम होता है। नियमित रूप से नारंगी, शिमला मिर्च, नींबू, आंवला, स्ट्राबेरी का सेवन करें।
- जिंकयुक्त आहार में अंडे, मांस, मछली,सी फूड, दूध, अनाज इत्यादि का सेवन करें।
- कार्बोहाइडेªट का उचित सेवन करें ताकि मस्तिष्क में मूड को अच्छा करने वाले केमिकल सेरोटोनिन का óाव अधिक हो सके।
मल्टी विटामिन्स दवा का सेवन डाक्टर के परामर्श अनुसार करें।
क्या न खाएं:-
- डायटिंग न करें।
- नाश्ता स्किप न करें।
- अधिक चाय और कैफीनयुक्त पेय न लें।
- अपने ऊपर अधिक जिम्मेदारी का बोझ न रखें।