हस्तरेखा दिखाने से पहले


हाथ की हथेलियों में अनेक रेखाएं होती हैं जो व्यक्ति के भविष्य को बताने में पूर्ण समर्थ होती हैं। अनेक शुभ एवं अशुभ योगों से युक्त हथेलियों को ज्योतिषी देखते हैं और उसके अनुसार व्यक्ति का भविष्य बता देते हैं। हाथ दिखाते वक्त किन-किन सावधानियों को बरतना चाहिए, इससे संबंधित मुख्य जानकारियों को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।



जब कभी भी आप किसी ज्योतिषी को हाथ दिखायें तो सर्वप्रथम यह ध्यान रखें कि आप अपनी हथेली को ज्योतिषी के हाथ में न देकर अलग ही रखें क्योंकि उसके हाथ के स्पर्श से आपके हाथ की तथा उसके हाथ की विद्युत धाराएं सम्पर्क में आ जाएंगी और हाथ की मौलिकता समाप्त होकर गलत भविष्य कथन सामने आ सकता है।




  • सर्वप्रथम ज्योतिषी को यजमान के हाथों को उल्टा करके उसके हाथ के आकार-प्रकार को देखना चाहिए। जब हाथ का आकार-प्रकार ज्ञात हो जाए, तक हथेली को सीधा करके उसके मणिबन्ध से देखते हुए ऊपर की ओर जाना चाहिए।

  • इसके बाद पर्वत, पर्वत के उभार, पर्वत से जुड़ी उंगलियां और अंगूठे को देखना चाहिए। अन्त में उंगलियों के अन्य भाग एवं नाखूनों का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करना चाहिए।

  • उपरोक्त चीजों का निरीक्षण करने के बाद पूरे हाथ के जोड़ों को ध्यान से देखना चाहिए। हाथ के जोड़ों को अर्थात् हथेली के जोड़ों से ग्रहों के भागों का भली-भांति अध्ययन हो जाता है। उंगलियों के जोड़ों से भी कई तथ्य स्पष्ट हो जाते हैं। हाथ की कोमलता एवं कठोरता भी भविष्य निर्धारण में सहायक होती है।

  • उंगलियों के सिरों पर शंख, चक्र आदि दिखाई देते हैं, वे भी अपने आप में बहुत अधिक महत्व रखते हैं, अतः उनका भी ध्यानपूर्वक अध्ययन आवश्यक होता है।

  • यूं तो हाथ कभी-भी देखा जा सकता है किन्तु इसके लिए सर्वोत्तम समय प्रातःकाल का ही होता है। भूखे पेट हाथ दिखाना उत्तम होता है। भोजन करने के बाद रक्त का भ्रमण तेज हो जाता है जिसकी वजह से हाथ की महीन रेखाएं अदृश्य-सी हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में सूक्ष्मदर्शी यंत्रा का उपयोग करना होता है।

  • महिलाओं को अगर मासिक धर्म का समय हो तो अपना हाथ उस काल में उन्हें नहीं दिखाना चाहिए। गर्भावस्था के समय भी हस्तरेखाओं को दिखाना निषेध माना जाता है।

  • हाथ दिखाने से पूर्व हाथ को अच्छी तरह से साफ कर लेना अच्छा माना जाता है। नींद से तुरंत उठकर, गन्दा या आलस्य से भरा हुआ शरीर, लड़ने-झगड़ने के तुरंत बाद भी हाथ नहीं दिखाना चाहिए क्योंकि इससे भविष्य कथन में बाधा आती है।

  • अत्यधिक भोजन के बाद या व्यायाम के तुरंत बाद भी हाथ नहीं दिखाना चाहिए। लगातार कार्य करते एकदम से उठकर भी हाथ दिखाना अधिक उचित एवं अनुकूल समय नहीं माना जाता है।

  • अत्यधिक गर्मी में या अत्यधिक सर्दी में भी अपना हाथ नहीं दिखाना चाहिए क्योंकि अधिक गर्मी पड़ने से हथेली जरूरत से अधिक लाल रहती है और उससे उसका वास्तविक रंग अनुभव नहीं होता है।

  • जिस समय क्रोध की अवस्था हो, परिवार में किसी का निधन हो गया हो, कुछ देर पहले सम्भोग क्रिया की गई हो या किसी भी वजह से परेशान हों, तो उस समय अपना हाथ नहीं दिखाना चाहिए।

  • किसी तटस्थ व्यक्ति से ही अपना हाथ दिखाना चाहिए। अत्यधिक प्रिय या शत्राु होने पर हाथ देखने वाला तटस्थ नहीं रह पाता और इससे उसके कथन (फल-कथन) में अस्वाभाविकता आ सकती है।

  • अपने भविष्य का अत्यधिक अच्छा फल जानकर अति-उत्साहित होकर अच्छे कर्मों को नहीं छोड़ देना चाहिए और न ही बुरे फलों को जानकर हतोत्साहित होकर जीवन से निराश ही होना चाहिए। ईश्वर पर सभी शुभाशुभ फलों को सौंपकर उद्यम करते रहना चाहिए।

  • हस्तरेखाएं तथा उनका शुभाशुभ प्रभाव मनुष्य के कर्मों के आधार पर पल-पल परिवर्तित होते रहते हैं अतः हमेशा अच्छे कर्मों के प्रति जागरूक होकर सत्कर्मों के प्रति लगाव बनाये रखना चाहिए। हर व्यक्ति सही-सही भविष्य भी नहीं बता पाता, इसका भी ध्यान रखना चाहिए।