ध्यान रखें - सयानी होती बेटी का


बेटी के बड़ी होते ही माता-पिता को कई तरह की चिंताएं सताने लगती हैं। विशेषकर हर मां की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। बेटी क्या कर रही है, क्या पहन रही है, कहां जा रही है, इन सब बातों का ध्यान हमेशा मां को रखना पड़ता है।
हमारी सामाजिक संरचना और सामाजिक सोच ही ऐसी है कि हमारी बिटिया से जरा सी भी नादानी हो जाए तो समाज के लोग चैन से जीने नहीं देते, साथ ही उसकी शादी तथा परिवार के अन्य बच्चों के रिश्तों में कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
बेशक, हमें लड़का-लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए मगर कुछ सीमाएं हमें अपनी सयानी होती बिटिया के लिए जरूर तय करनी होंगी।



  • बड़ी होती बेटी के फ्रेंडगु्रप के बारे में जानें कि किस तरह की लड़कियों से उसकी दोस्ती है। अगर गलत माहौल की लड़कियों से दोस्ती हो तो उसे समझाएं।

  • आपकी बेटी, अपनी सहेलियों के साथ किस तरह की बातें करती है? कहीं वह कुछ गलत तो नहीं सीख रही है, इस बात का भी ध्यान रखें।

  • लड़का-लड़की की दोस्ती आजकल आम बात है मगर आप देखें कि आपकी बेटी की दोस्ती जिन लड़कों से है, उनका परिवारिक माहौल, उनकी विचार-धारा और उनके आपकी बेटी से रिश्ते कितने औपचारिक हैं। अगर वह गलत लड़कों से दोस्ती रखती है तो उसे समझाएं।

  • बेटी को इतनी आजादी कभी न दें कि वह बिना बताए कहीं भी चली जाए और जब चाहे घर वापस आए वरना यह आपके लिये परेशानी का विषय हो सकता है।




  • अपनी बेटी को ऐसे कपड़े पहनाने की आदत न डालें, जो तन-दिखाऊ हों बल्कि उसे शालीन कपड़े ही पहनाएं। अगर जिद करे तो अच्छा बुरा भी समझाएं।

  • बेटी को औपचारिक रूप से ही सही मगर उसे कुछ यौन संबंधी जानकारी जरूर दें। उसकी जरूरतों का ख्याल रखें तथा आवश्यकता पड़ने पर थोड़ा प्यार और थोड़ी डांट भी जरूरी है।


मर्यादाएं सभी के लिए होती हैं, चाहे लड़का हो या लड़की मगर हमें समाज में रहना है तो समाज की विचारधाराओं से तालमेल बिठाना होगा क्योंकि लड़के की हर गलती को समाज माफ कर देता है या ध्यान नहीं देता, मगर लड़की द्वारा उठाया गया छोटा सा कदम कहीं दुनियां और समाज के लोगों के लिए बोलने का कारण न बने।


ये कुुछ बातें ध्यान में रखकर आप अपनी बेटी कोे भी सभ्य बनाएंगी तो समाज के लोगों की बातें सुनने का कभी मौका नहीं मिलेगा।