बहकती बिगड़ती युवा पीढ़ी


आज आधुनिकता और प्रदर्शन की अंधी चाहत से बच्चों की मासूमियत छिनती जा रही है। इसका असर अब उनके पहनावे और उनके जीने के तरीके पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है।


आज की पीढ़ी का लाइफस्टाइल थोड़ा हट कर है जिसमें है मस्ती, फन और भी बहुत कुछ। पश्चिमी हवाओं में बह जाने वाली इस पीढ़ी के आगे मर्यादा जैसी चीज तो बहुत तुच्छ समझी जाती है। शादी से पहले यौन संबंध बना लेना इसके लिए आम बात है।


इन लोगों के अंदर आत्मग्लानि जैसी कोई भावना नहीं लेकिन कुछ लोग इस तरह के काम करके आत्मग्लानि से भर उठते हैं और फिर उन्हें मनोचिकित्सक के पास ले जाकर इलाज तक कराना पड़ता है लेकिन ऐसे लोगों का प्रतिशत बहुत कम होता है। शादी से पहले ही यौन संबंध बना लेना और शादी न करना इनकी फितरत बन जाती है और इन सबका परिणाम भुगतना पड़ता है बच्चों के मां-बाप को।


दिल्ली के ही डाॅ. अनुपम धीर का कहना है कि मेरे पास अक्सर ऐसी लड़कियां आती है जो दिखने में बुद्धिमान और गंभीर प्रकृति की होने के साथ-साथ शर्मींली और कम बोलने होती हैं। वे धोखे से ऐसे गु्रप ज्वाइन कर लेती हंै जिनका एजेंडा ही फन होता है। ऐसे गु्रप में किसी एक का एक से संबंध न होकर काफी से होता है। अब यह टेªंड बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है।



नई दिल्ली के मनोचिकित्सक डाॅक्टर गौरव गुप्ता का कहना है, ’’मेरे पास आने वाले काॅल्स में अक्सर पूछा जाता है कि क्या पीरियड के समय किसी से संबंध बनाना सुरक्षित है? मेरे पीरियड आने बंद हो गए हैं, मैं क्या करूं? डाॅ. गुप्ता का कहना है कि शादी के पहले इस तरह के संबंध बनाने वाले अक्सर काॅलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं होते हैं। ये पहले सिगरेट पीना शुरू करते हैं, फिर काॅलेज के लेक्चर छोड़ना, फिर पार्टी, पिकनिक और फिर दोस्तों के घर रात बिताने तक बात बढ़ जाती है।


विशेषज्ञों के अनुसार 1990 के मध्य मंे इंटरनेट के आने से और अब मोबाइल से समाज में, खासकर युवाओं में काफी बदलाव आ गया है। आज इंटरनेट के माध्यम से सारी परंपरागत नैतिकता को ताक पर रखकर अश्लीलता परोसी जा रही है। सायबर कैफे में बैठकर लोग घंटों तक अश्लील वेबसाइट देखते हैं।


आज एक नया बदलाव समाज में आया है, इसलिए कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जैसे बच्चों के साथ संवाद बनाए रखें, उनके दोस्तों के बारे में चाहे लड़का हो या लड़की, जानकारी प्राप्त करें, बच्चों से एड्स और इस तरह के संबंधों से होने वाली बीमारियों के संदर्भ में बात करें, उनके सामने एक रोल माॅडल बनें। पति-पत्नी के संबंध में मजबूती होनी चाहिए जिससे आप अपने बच्चों को खुशहाल माहौल उपलब्ध करवा सकें।


आज का युवा वर्ग फिल्मों से बेहतर प्रभावित है। वह अक्सर उन बातों का अनुसरण करता है जो फिल्मों में दिखाई जाती है और उन्हें अपनाने के लिए युवा अपनी नैतिकता को भी ताक पर रख देता है। युवाओं को संभालना अभिभावकों की जिम्मेदारी है।