औषधि गुण भी है वस्त्रों में


वस्त्र मात्र हमारे शरीर को ही नहीं ढकते अपितु मौसम की तीव्रता एवं विपरीत परिस्थितियों में हमारी रक्षा भी करते हैं। यह हमारे व्यक्तित्व को आकर्षक बनाते हैं। कभी हम सूती, रेशमी, ऊनी एवं सिंथेटिक वस्त्र पहनते हैं तो कभी रंग-बिरंगे, लाल, पीले, हरे रंग के वस्त्रों को पहनते हैं। इसमें भी प्लेन, डिजाइन, लाइन प्रिंट आदि की विविधता होती है।



सभी रंगों और सभी डिजाइनों का अपना चरित्र भी होता है जो धारणकर्ता को प्रभावित करता है। यह हमारी सभ्यता की पहचान है। भारत का प्राचीन गं्रथ आयुर्वेद इनमें औषधीय गुण समाया मानता है। ये रोगों से बचाते हैं। मौसमी प्रखरता से रक्षा करते हैं। ये रोगाणुनाशक भी हंै। आयुर्वेद में ऋतु अनुरूप वस्त्र एवं उनके रंगों के पहनने का विधान वर्णित है।



शीत ऋतु -
इस ऋतु में ऊनी, रेशमी और लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इससे शरीर में बढ़े वात-कफ का शमन होता है। ऊनी वस्त्र शरीर ऋतु में बढ़ चुके वात-कफ के रोगों से हमारी रक्षा करते हैं। शीत ऋतु में गाढ़े रंग के मोटे कपड़े पहनना लाभदायक रहता है।



ग्रीष्म ऋतु -
जोगिया वस्त्र रेशमी, सूती वस्त्र शरीर को ठंडक पहुंचाते हंै और बुद्धि को बढ़ाते हैं। जोगिया वस्त्र बुद्धिवर्धक, शीतल, पित्त शामक होते हैं। इनसे गर्मी के मौसम में शांति मिलती है। बुद्धि विकास होता है। साधु जोगिया वस्त्र जोगिया रंग धारण करते हैं। यह केसरिया या गेरूआ रंग का रेशमी, सूती कपड़ा होता है। ग्रीष्म ऋतु में सफेद या हल्के रंग के ढीले ढाले सूती वस्त्र सबसे कारगर एवं अच्छे रहते हंै।



वर्षा ऋतु -
वर्षा ऋतु में सफेद एवं सूती वस्त्र पहनने चाहिए। यह कल्याण कारक, शीत तथा धूप निवारक हंै। ये वस्त्र न गर्म होते हैं न शीतल, इसीलिए वर्षा ऋतु में पहनाना उत्तम माने गये हंै। इस मौसम में गीले कपड़े ज्यादा समय तक पहनने से बचना चाहिए।



स्वच्छ वस्त्र -
स्वच्छ एवं नए वस्त्र व्यक्तित्व एवं सुंदरता को बढ़ाते हैं। ये नए वस्त्र निर्मल, कोमल, मुलायम एवं रूचि कर लगते हैं। आयु तथा कांति बढ़ाते हैं, मन को प्रसन्न रखते हैं। इससे त्वचा विकार नष्ट होते हैं आनंद की प्राप्ति होती है एवं ये वशीकरण का काम करते हैं।ं



गंदे कपड़े -
गंदे कपड़े पहनने पर दाद, खाज-खुजली एवं कई प्रकार के चर्म रोग होते हैं। जुएं जैसे अन्य जीवाणु पनपते हैं। ये ग्लानि प्रकट करते हैं। इससे व्यक्ति में गिरावट आती है। ये निर्धनता बढ़ाते हंै।