अस्थमा से पीड़ित खुद का रखें विशेष ख्याल


सर्दियों में वैसे तो बहुत सी मौसमी बीमारियां हमारे शरीर को जकड़ने लगती हैं किंतु सर्दी, जुकाम और बुखार जैसी समस्याओं के अतिरिक्त अस्थमा से पीड़ित लोगों हेतु भी यह काफी कष्टदायी मौसम होता है, इसलिए शुरुआती दिनों में उन्हें अपना विशेष ध्यान रखने की बेहद जरूरत होती है और सही खानपान पर भी खास ख्याल देना होता है। डाक्टरों के मुताबिक, सर्दी और प्रदूषण भरे माहौल में अस्थमा का अटैक कभी भी कहीं भी हो सकता है और यह एक्सरसाइज से भी हो सकता है।



इससे अस्थमा के मरीजों का श्वसन मार्ग प्रभावित होने लगता है तथा उनकी श्वास नलियां सिकुड़ने लगती है व कफ भी ज्यादा बनने लगता है। फलस्वरूप  खांसी, सीने में जकड़न महसूस होना, घरघराहट,  सांस लेने में दिक्कत इत्यादि समस्याएं होने लगती है, अतः इस दौरान सावधानी बरतने के साथ-साथ डाक्टरों द्वारा बताई गई दवाओं का सेवन करना अत्यंत जरूरी होता है। बकौल डाक्टर्स , यूं तो कभी-कभी आराम करने से अटैक से राहत मिल जाती है परन्तु  इससे तुरंत बचने हेतु सदैव शीध्र ही इससे संबंधित दवाओं का लेना बहुत अनिवार्य होता है।
बता दें कि इस समय हर दस में से एक बच्चे में इसके लक्षण पाए जाते हैं। जबकि बड़ों में यह समस्या हर बीस लोगों में से एक में पाई जाती है। चलिए अब हम आपको बताते हैं कि सर्दियों के ठिठुरते दिनों में अस्थमा के मरीज कैसे खुद का ख्याल रख सकते हैं।

ऐसे रखें खुद का ख्याल:-
अस्थमा से बचने के लिए सर्वप्रथम हमेशा अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें। मैदे से बनी सभी चीजों का खुलकर बहिष्कार करें क्योंकि इससे श्वसन नली में अवरोध पैदा होता है। साथ ही बलगम बनाने वाली चीजों से भी उचित दूरी बना कर रखें।
आयुर्वेद की मानें तो पालक एवं गाजर के रस को मिलाकर पीने से अस्थमा की समस्या से निजात पाया जा सकता है जबकि यदि मेथी को पानी में उबाल कर शहद और अदरक के रस के साथ मिला कर रोजाना पीते हंै तो भी इसकी छुट्टी की जा सकती हैं।
देखने में आया है कि सर्दियों के दिनों में अस्थमा के मरीज शरीर को गर्मी दिलाने हेतु कभी-कभी आग के नजदीक जाकर भी बैठ जाते है जो काफी खतरनाक हो सकता है।




उन लोगों को ऐसा कतई नहीं करना चाहिए।
यदि अस्थमा पीड़ित कहीं बाहर से घूमकर घर आते हैं तो वे अपने हाथों को अच्छी तरह से जरूर धोएं क्योंकि ऐसा करने से हाथों में लगे धूल-मिट्टी के कण और वायरस उनकी सांस नली या मुंह तक आसानी से नहीं पहुंच सकेंगे। और तो और, शरीर में उत्पन्न होने वाली अन्य कई बीमारियों से भी मुक्ति पा लेंगे।  



जहां तक संभव हो सके, वे स्वयं को पूरी तरह से गर्म कपड़ों से ढककर रखें और एयरकंडीशन व तेज पंखे से दूरी बनाए रखें तो लाभप्रद होगा। इसके साथ ही यह स्मरण रखें कि इन्हेलर पास में रखेें तथा स्टेरायड का प्रयोग डाक्टर की सलाह पर ही करें।



अस्थमा से ग्रसित व्यक्ति कभी भी केला नहीं खाएं क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। इसके अतिरिक्त मांसाहार भोजन में मसालेदार तला कबाब, फ्राइड मछली और तले हुआ चिकन से भी कोसों दूरी पर रहें तथा तरल पदार्थों का भी भूलवश सेवन नही करें। तभी खुद को इससे होने वाली परेशानियों से बचाया जा सकता है ।  



आहार विशेषज्ञों के अनुसार, अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति सदा घर का बना कम वसायुक्त भोजन ही खाएं । यदि आपको खट्टे पदार्थों से एलर्जी होती है तो इनका सेवन करना भी बंद कर दें ।



जानकारों का कहना है कि यदि शहद और तुलसी के पत्तों को यदि काली मिर्च के साथ भिगोकर चबाकर खाया जाए तो यह अस्थमा के बार-बार पड़ते दौरे की संभावना को काफी हद तक कम कर सकता है।



अस्थमा से पीड़ित लोगों को हमेशा हेयर कलर करवाने से भी बचना चाहिए चूंकि इसमें ऐसे कई कैमिकल्स  मिले होते हैं जिन्हें सूंघने मात्र से ही सांस संबंधी परेशानियां खुद ब खुद बढ़ने लगती हैं।  



अंत में, यदि आप रोजाना मार्निंग वाक करते है तो सूर्य निकलने के पश्चात ही करें क्योंकि प्रदूषण की वजह से रात के वातावरण में जमा धुंआ सुबह की धुंध में मिल कर स्माग बना देता है। सुबह जल्दी निकलने के स्थान पर धूप होने पर ही सैर के लिए निकलें तो कहीं श्रेष्ठकर साबित होगा।



ध्यान रखें ,बाहर निकलते समय चेहरे पर मास्क भी अवश्य लगाएं। तभी दिनोंदिन बढ़ती अस्थमा  की परेशानियों से खुद को निजात दिलाया जा सकता हैं अन्यथा कदापि नहीं।