अंदरूनी सुंदरता भी जरूरी है



बाहरी सुन्दरता और अन्दरूनी सुन्दरता एक इंसान या चीज के दो गुण होते हैं। किसी की बाहरी सुन्दरता देखकर हम कुछ वक्त के लिये खुश रह सकते हैं मगर हमेशा के लिये नहीं। कहावत है कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती। इसी तरह हर खूबसूरत इंसान जरूरी नहीं कि खूबसीरत भी हो यानी उनमें अन्दरूनी गुण भी मौजूद हों। एक इंसान की सुन्दरता हमेशा नहीं रह सकती मगर व्यवहार और तौर तरीके हमेशा बने रहते हैं। असली खूबसूरती तो इंसान के अन्दर होती है मगर लोग बाहरी खूबसूरती को ज्यादा अहमियत देते हैं।


जब हम किसी खूबसूरत इन्सान से मिलते हैं तो दिल चाहता है कि वह हमसे बात करे। भले ही हम खूबसूरत इंसान को देखकर प्रभावित हो जाएं मगर जब उससे बातचीत करते हैं तो हमें उसकी जुबान और बातचीत से यह पता चल जाता है कि वह किस व्यवहार का इंसान है, किस कोटि का इंसान है। अगर उसका व्यवहार अच्छा है तो उससे बार-बार मिलने को दिल करेगा और अगर उस खूबसूरत इंसान का व्यवहार अच्छा नहीं है तो उससे दोबारा मिलना पसंद नहीं करेंगे।


एक इंसान की पहचान उसकी खूबसूरती से नहीं बल्कि उसके विचारों, भावनाओं और तहज़ीब से होती है। इंसान की खूबसूरती और बदसूरती खुदा की देन है, फिर भी वह इसे अपने कर्मों, विचारों से बदल सकता है। मन की सुन्दरता हमें एक सच्चा और अच्छा इंसान बनाती है। समाज में खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिये बाहरी सुन्दरता जरूरी नहीं है बल्कि उच्च विचार, कठोर परिश्रम, कर्तव्य और सब्र जरूरी है। सफलता हमें इन्हीं सब गुणों से मिलती है, इसलिये हमें बाहरी सुन्दरता संवारने के बजाए मन को सुन्दर बनाना चाहिये। अगर आप सुन्दर दिखना चाहते हैं तो अपने अन्दर आत्मविश्वास बनाए रखंे। अपने मन को खुश और साफ रखंे। किसी के बारे में बुरा मत सोचे। आपके अन्दर जितनी सच्चाई है आप उतने ही सुन्दर दिखेंगे।


आजकल बहुत से व्यवसाय ऐसे भी हैं जिनमें स्मार्टनेस और खूबसूरती देखकर मूल्यांकन किया जाता है। ऐसे में आकर्षक दिखना जरूरी होता है मगर यह भी सच है कि बाहरी सुन्दरता से आप किसी को सिर्फ एक बार ही अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। अगली बार वह आपकी सुंदरता पर ध्यान न देकर आपके अंदर के गुणों को तलाशेगा और अगर आपके अंदर वे मानवीय गुण मौजूद नहीं तो आपकी हालत ऊंची दुकान, फीका पकवान जैसी होगी।


संसार में कितने ही ऐसे व्यक्ति हुए हैं जो दिखने में ज्यादा सुंदर नही हैं, फिर भी उन्होंने अपने गुणों, विचारों और कर्मों से यह साबित कर दिया है कि बाहरी सुन्दरता ही सब कुछ नहीं होती। नेल्सन मंडेला, मदर टेरेसा, ए. पी. जे. अब्दुल कलाम आदि अपनी सुन्दरता नहीं बल्कि अपने कर्मों व विचारों से मशहूर हैं।


अगर आप भी इनकी तरह कुछ कर दिखाना चाहते हैं तो अपने कर्मों, विचारों व मन को सुन्दर बनाइये। अगर आपका मन सुन्दर है तो आपके चेहरे पर भी सुन्दरता नजर आएगी।