त्वचा के सौंदर्य में तेल मालिश का महत्त्व


शारीरिक सौंदर्य में त्वचा की सुन्दरता का विशिष्ट महत्त्व है। यह त्वचा ही है जो हमारे पूरे शरीर का आवरण बन कर न सिर्फ शरीर के सुरक्षा कवच का ही कार्य करती है बल्कि शरीर के अन्दर के मांस, चर्बी आदि को ढका हुआ रखती है। त्वचा जितनी स्वस्थ, चिकनी, चमकदार और उज्ज्वल वर्ण की दिखाई देगी, उतनी ही देह सुन्दर और स्वस्थ दिखाई देगी। ऐसा तभी होगा जब त्वचा स्वस्थ और विकार रहित होगी।


तेल मालिश करना एक ऐसा उपाय है जो शरीर और त्वचा की ही रक्षा नहीं करती बल्कि रूप और यौवन की भी रक्षा करती है। इस कारण से हमें तेल मालिश करने से पूर्व उसके कुछ नियमों, आदि के बारे में जानना चाहिये कि मालिश किस प्रकार की जानी चाहिये।


जो मालिश शरीर और स्वास्थ्य के लिये इतनी उत्तम और लाभप्रद है, उसके करने के कुछ नियम होते हैं और इन नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है क्योंकि कोई भी काम सफल और सुफल तभी होगा जब वह नियमपूर्वक किया जाये, अतः नियमित और नियमपूर्वक तेल मालिश के प्रमुख नियम इस प्रकार हैं:-



  • प्रसन्न, शान्त, निश्चित और एकाग्रचित होकर मालिश करनी चाहिए। जब जिस अंग पर मालिश करें, तब उसी अंग पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित रखें।

  • खुले, हवादार और साफ स्थान पर, दरी या चटाई बिछा कर बैठ जायें और बैठ कर मालिश करें।

  • मालिश करने के लिए हाथ को नीचे से ऊपर को चलायें लेकिन ऐसी सावधानी से हाथ चलायें कि त्वचा के बाल रोम) टूटें नहीं। नीचे से ऊपर को हाथ चलाने का तात्पर्य है, रक्त का प्रवाह हृदय की तरफ होने में सहयोग करना।

  • मालिश केी शुरूआत पैरों से करनी चाहिए। कम से कम 20-25 मिनट और ज्यादा से ज्यादा 45 मिनट मालिश करनी चाहिये। इसके बाद थोड़े विश्राम के बाद स्नान कर लेना चाहिये।

  • जिस तेल से मालिश करें, उस तेल को 6-7 घण्टे तक नित्य धूप में रखना चाहिये। तेल की बोतल को जमीन पर न रखकर, पटडे़ पर रखकर धूप में रखना चाहिये और अन्दर भी पटड़े पर ही रखें।

  • शीत काल में अधिक ठण्ड और ठण्डी हवा से तथा गर्मी के दिनों अधिक गर्मी और धूप से बचकर मालिश करनी चाहिये।

  • मालिश करते समय पेट खाली होना चाहिये इसलिये प्रातः शौच क्रिया से निवृत्त होकर, खाने से पहले मालिश करनी चाहिये।

  • मालिश के बाद, सीधा लेटकर विश्राम करें। और फिर मोटे तौलिये या तौलिये से रगड़कर साफ करें।

  • बुखार, कब्ज, पेट भरा होना आम दोष, उपवास, उल्टी, दस्त, बहुत ज्यादा थकावट, पूरी रात का जागरण आदि के बाद मालिश नहीं करनी चाहिये।



नियमित और नियमपूर्वक मालिश करने के लाभ हैं:-



  • मालिश करने से त्वचा स्वस्थ, सुन्दर, बलवान, झुर्रीरहित, मुलायम और चिकनी बनी रहती है। रक्त संचार ठीक ढंग से होने के कारण शरीर बलवान, चुस्त और फुर्तीला बना रहता है।

  • मालिश करने से पाचन संस्थान के अंग प्रत्यंगों को शक्ति व उत्तेजना मिलती है जिससे पाचनक्रिया में सुधार आता है। पाचन शक्ति बढ़ती है।

  • मालिश करने से फेफड़ों, गुर्दो, और हृदय को बल मिलता है, और शरीर स्वस्थ व बलवान बनता है।

  • शरीर के सभी अवयवों को चिकनाई प्राप्त होती है अतः वे लचीले और मजबूत बने रहते हैं।

  • त्वचा द्वारा शरीर को सीधी खुराक मिलने से शरीर का पोषण उचित मात्रा में और शीघ्रता से होता है। मालिश द्वारा शरीर को बलवान और चुस्त दुरूस्त बनाये रखा जा सकता है।

  • मालिश करने से जहां शरीर स्वस्थ सुन्दर, निरोगी रहता है वहीं अनिद्रा, शरीर दर्द, सिर दर्द, हाथ पैरों में कंपन आदि रोगों से छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है।