फैशन में हैं टैटू और बॉडी पियर्सिंग

फैशन में हैं टैटू और
बॉडी पियर्सिंग



टैटू और बाॅडी पियर्सिंग जो आजकल हाॅट फैशन में हैं, कोई नया चलन नहीं है बल्कि सदियों पुराना है। पहले यह परंपरा के नाम पर करवाया जाता था, अब शौकिया फैशन की होड़ में करवाया जाता है।


पहले जहां टैटू ज्यादातर हाथ पर ही गुदवाया जाता था, अब यह पैर घुटने के नीचे, पीठ, कमर यहां गरदन कि शरीर के किसी भी खुले हिस्से पर यहां तक चेहरे तथा होंठों तक पर बनवाया जाने लगा है।


बाॅडी पियर्सिंग का पुराना चलन अब फिर से जोर पकड़ गया है। पहले जहां नाक कान ही छिदवाये जाते थे, अब भवों, जीभ, होंठों के नीचे, नाभि आदि जगहों पर नग पहना जाता है या गोल स्टड पहना जाता है जो पहनने वाले को डिफरेंट लुक देता है। टैटू का ओरिजिन तिब्बत से हुआ है।


टैटू बनवाना बहुत दर्दनाक होता है लेकिन फैशन की दीवानगी हिम्मत देती है और बनवाने वाले दर्द सह लेते हैं। अगर किसी प्रिय का नाम गुदवाया जा रहा है तो प्रेम के अतिरेक में व्यक्ति दर्द की परवाह नहीं करता था। फैशन के चलते कोई कलात्मक डिजाइन बनवाया जा रहा है तो उसे दुनियां को दिखाने का चाव प्रेरक बन जाता है।


किस तरह बनता है:-
इसके लिए खास स्टूडियो बने होते हैं। चाहे आपको बाॅडी पियर्सिंग करानी है या टैटू बनवाना है, दोनों काम यहां होते हैं। पुराने वक्त में बहुत ही क्रूड तरीके से बगैर कोई प्रिकाॅशन लिए अनहाइजिनिकली गली मोहल्लों में झोला लिए टैटू बनाने वाले अपना बिजनेस करते थे। अब ऐसा नहीं है। अब इलेक्ट्रिक मशीन द्वारा यह काम होता है। ग्राहक अपनी पसंद का डिजाइन चुन कर बहुत कम समय में टैटू बनवा सकता है।


खासी रकम लगती है:-
यह एक महंगा शौक है। समय भी कम नहीं लगता। एक इंच को आकार देने में आधा घंटा खर्च हो जाता है। बाद में भी तीन चार दिन उसकी खासी केयर करनी पड़ती है।


हैल्थ रिस्क:-
टैटू बनाने वाली स्याही या नीडल्स जरा सी भी संक्रमित हुई तो हेपेटाइटिस बी, सिफलिस, हरपीज, स्किन एलर्जी से लेकर एड्स जैसी खतरनाक बीमारी तक हो सकती है।
बाॅडी पियर्सिंग में भी संक्रमण के चांस तब होते हैं जब नीडल को दोबारा प्रयोग किया जाए। पहले व्यक्ति के संक्रमित रक्त या बाॅडी फ्लूइड से दूसरे व्यक्ति में इंफेक्शन हो सकता है।



टेक केयर:-
फैशन जरूर करें अगर शौक है लेकिन इसके लिए अपने को मुसीबत में न डालें। जोश में होश भी रखें। सबसे पहले तो स्टूडियो की रेपुटेशन के बारे में जानकारी लेकर ही वहां जाएं।
देखें कि स्टूडियो साफ हवा और रोशनी वाला हो। नीडल्स हर बार नई प्रयोग होती हो।
बाॅडी पियर्सिंग नीडल में भी इसी तरह की सावधानी रखी गई हो। स्टड को नेकेड उंगलियों से न पकड़ा जाए बल्कि उसके लिए डिसपोजेबल स्ट्रलाइज्ड काट्रिज हो।
बनाने वाला आर्टिस्ट किसी तरह के चर्मरोग से पीड़ित न हो। उसने हाइजिन का खास तौर से ध्यान रखा हो। डिस्पोजेबल ग्लव्स पहनकर ही वो अपना काम कर रहा हो।
ग्लव्स पहनने से पहले हाथ अच्छी तरह साबुन से धो लें।


लेजर से रिमूवल:-
जी हां, यह भी संभव हैै। मन भर गया, शौक पूरा हो गया तो आप आंशिक या पूरी तरह से टैटू मिटवा भी सकते हैं मगर दर्द और खर्च तो बनवाने से भी ज्यादा सहना पड़ेगा। टैटू बड़ा होने की सूरत में स्किन ग्राफ्टिंग के द्वारा इस कार्य को अंजाम दिया जा सकता है।
बाॅडी पियर्सिंग का छेद वक्त के साथ भर जाता है। छेद बड़ा होने की सूरत में टांके लगवा सकते हैं।
सबसे बढ़िया बात तो यह है कि इन सब झंझटों में न पड़कर टेंपरेरी टैटू से काम चलायें। शौक भी पूरा हो जाएगा। दर्द भी नहीं होगा और खर्च भी कम होगा। ये टैटू पानी से चिपकाए जा सकते हैं और क्रीम से हटाए जा सकते हैं। ये कुछ हफ्तों तक आराम से चल जाते हैं। तब तक हो सकता है आपका मन भी उससे भर जाए। फिर जब चाहे दूसरा बदल के लगा लें। यह स्थायी टैटू का अच्छा विकल्प है।