अनेक खतरे हो सकते हैं मोबाइल फोन से


आधुनिकता के इस युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्रा में मोबाइल फोन ने अपनी पहचान बना ली है। हल्का-फुल्का व सुविधा सम्पन्न यह फोन जहां एक ओर मानव जीवन को अपनी सेवाएं प्रदान करते हुए उसे पूर्णता की तरफ ले जा रहा है वहीं दूसरी ओर मोबाइल को सर्वग्राह्य बनाने के लिए अनेक कंपनियां अनेक प्रकार के छूट एवं प्रलोभन भी दे रही हैं।


वैज्ञानिकों के अनुसार मोबाइल फोन के प्रयोग में लो पॉवर माइक्रोवेव विकिरण होता है जिससे ब्रेन ट्यूमर, हृदय रोग, उच्च-रक्तचाप, याददाश्त में कमी, कैंसर आदि जैसे घातक रोग भी हो सकते हैं।


मोबाइल फोन पर बातचीत से मस्तिष्क द्वारा बहुत सूक्ष्म माइक्रोवेव विकिरण ग्रहण कर लिया जाता है जो मस्तिष्कीय कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इसे एक सरल उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है। आधुनिक रसोईघरों में खाना बनाने के लिए जिन माइक्रोवेव ओवनों का इस्तेमाल किया जाता है उनमें भी कुछ इसी प्रकार की माइक्रोवेव तरंगों का प्रयोग किया जाता है किन्तु उसकी तरंगें चूंकि शरीर से दूर होती हैं इसलिए ये हानि नहीं पहुंचा पाती।


मोबाइल फोन मस्तिष्क के पास रहता है अत: उसकी शक्तिशाली तरंगों को अधिक खतरनाक माना जाता है। जब उसका प्रयोग नहीं किया जा रहा हो तो इसे प्राय: कमीज या कोट की जेब में रखा जाता है। इस दृष्टि से यह दिल के करीब होता है और संकेत मिलने पर जब सक्रिय होता है तो दिल के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। इसीलिए विशेषज्ञों की हिदायतें हैं कि हृदय रोगियों को इसके प्रयोग से बचना चाहिये।



यूनिवर्सिटी आॅफ वाशिंगटन के प्रो. लेनी लॉय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है विकिरण से मस्तिष्क की कोशिकाओं पर बुरा असर पड़ता है तथा डी.एन.ए. पर भी असर हो सकता है। इस रिपोर्ट से इस बात की भी पुष्टि होती है कि मोबाइल फोन स्मृति को भी बुरी तरह प्रभावित करते हैं।


मोबाइल फोन से सर्वाधिक खतरा मस्तिष्क को ही रहता है। मस्तिष्क सजल ऊतकों से बना होता है जो मस्तिष्क द्वारा पूरे शरीर तथा शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। इन्हीं ऊतकों के द्वारा माइक्रोवेव विकिरण को सोख लिया जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि माइक्रोवेव रेडिएशन दो प्रकार से प्रभावकारी होते हैं। एक तो ये ऊतक गर्म होने लगते हैं तथा दूसरे मेम्ब्रेन बदलने लगते हैं। ये मेम्ब्रेन छिद्रित हो जाते हैं और इनसे पोटेशियम व कैल्शियम आयरन भी अलग होने लगते हैं। वैज्ञानिकों ने स्वीडन में ग्यारह हजार लोगों पर एक अध्ययन कर निष्कर्ष निकाला है कि नियमित रूप से मोबाइल फोन प्रयोग में लाने वालों में तनाव, थकान, सिरदर्द और त्वचा संबंधी शिकायतें थीं। मोबाइल फोन से उत्पन्न अन्य रोगों तथा विकारों के संबंध में अभी भी शोध कार्य किया जा रहा है।