पत्तियों में भी होते हैं औषधीय गुण

पत्तियों में भी होते हैं
औषधीय गुण


 


वृक्षों व पौधों की पत्तियों में भी उपचार के गुण छिपे होते हंै। पत्तियों के अन्दर औषधीय गुणों के विद्यमान होने से छोटी-छोटी पत्तियों का महत्त्व अत्यन्त ही बढ़ जाता है। जानकारी के अभाव में पत्तियों के अन्दर छिपे गुणों का उपयोग हम नहीं कर पाते। कुछ महत्त्वपूर्ण पत्तियों के अन्दर छिपे गुणों अर्थात् औषधीय महत्त्व का वर्णन यहां किया जा रहा है।



अनार की पत्तियां:-
अनार को दाड़िम, पाॅमेग्रेनेट, लोहितपुष्पक आदि नामों से भी जाना जाता है। इसकी पत्तियां अभिमुख या विपरीत आयताकार या दीर्घवत कुण्ठिताग्र तथा चिकनी होती हैं। इनका स्वाद कुछ कसैला होता है। चिकित्साविदों के अनुसार पत्तियों के रस में पेलीटिएरीन, एल्केलाॅइडस तथा टैनिक एसिड की मात्रा पायी जाती है।


अनार की पत्तियों का काढ़ा बनाकर उससे कुल्ली करने पर मुंह के छाले समाप्त हो जाते हैं। पत्तियों के रस से दांतों को मलते रहने पर दांत मोती से चमकने लगते हैं। अनार की पत्तियों के ताजे रस से मालिश करते रहने पर स्तनों के आकार में वृद्धि होती है। अतिसार में पत्तियों का काढ़ा पिलाना लाभदायक होता है। एक ग्लिास शर्बत में अनार की पत्तियों का आधा चम्मच रस की मात्रा में डालकर पीते रहने से लू का प्रकोप नहीं होता।



इमली की पत्तियां:-
इमली को तितिड़ी, अम्लिका, आॅक्ली, टेमरिंड आदि के नामों से भी जाना जाता है। इसकी पत्तियां छोटी होती हैं। पत्तियों के डंठल बहुत छोटे होते हैं। दक्षिण भारत में इमली का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता है।
इमली के पत्तों के काढ़े में सेंधा नमक मिलाकर पीने से खांसी दूर होती है। इसकी कोमल पत्तियों की चटनी खाने से भूख बढ़ती है। पत्ती के काढ़े में भात मिलाकर खाने से पाण्डुरोग अच्छा होता है। पत्ती के काढ़े से योनि प्रक्षालन करते रहने से ल्यूकोरिया के कीटाणु दूर होते हैं। गर्मी के मौसम में इमली की पत्तियों का रस शीतल जल में डालकर पीने से तरावट बनी रहती है। आयुर्वेद में इमली को श्वास-कासहर एवं तृष्णानाशक बताया गया है। इसके रस में सूजन दूर करने की भी शक्ति होती है।



ईख की पत्ती:-
इसे इक्षु, उक, शुगरकेन, आक आदि के नामों से जाना जाता है। ईख के रस से बने गुड़, खांड, चीनी, मिश्री आदि सर्वत्र मिलते हैं। इसकी 2 से 3 इंच चैड़ी पत्तियां होती हैं जिनको ‘गेंडा’ भी कहा जाता है। पत्तियों के किनारे या तट तेज होते हैं। इसकी पत्तियां पतली, छोटी, नरम और गहरे रंग की भी होती हैं। ईख या गन्ने की पत्तियों को पीसकर सूजन या दर्द वाले स्थान पर लगाते रहने से सूजन एवं दर्द दोनों ही नष्ट हो जाते हैं। पत्तियों को जलाकर भस्म बनाकर कपूर एवं नारियल तेल मिलाकर लेप करने पर ‘बालतोड़’ का घाव शीघ्र दूर होता है। ईख के रस मंे सुक्रोज, राल, वसा एवं ग्वानीन नामक रासायानिक पदार्थ भी पाये जाते हैं। मूत्र न उतरने पर ईख की पत्तियों का स्वरस पानी में डालकर पिलाया जाता है। ईख की पत्तियों के स्वरस के साथ आंवले का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करते रहने से गठिया की सूजन व दर्द भी दूर होता है।



आम की पत्तियां:-
आम को फलों का राजा माना जाता है। इसके पत्ते हरे रंग के एवं चिकने होते हैं। पत्तों के किनारे प्रायः लहरदार होते हैं तथा आधार की ओर चैड़ाई कम होती जाती है। इसकी कोमल पत्तियांे का उपयोग औषधीय कार्यों के लिए किया जाता है।


आम की पत्तियों में औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेद के चिकित्सक इसका प्रयोग अधिकांश करते रहते हैं। कोमल पत्तियों का स्वरस निकालकर दो छोटी चम्मच की मात्रा में ठंडे पानी में मिलाकर पिलाने से पेट के कृमि निकल जाते हैं। पत्तियों को पानी के साथ पीसकर उस लुगदी को थोड़ा गरम करके घाव पर रखकर बांध देने पर घाव आसानी से पक जाता है। पत्तियों को जलाकर उसकी राख (भस्म) में शहद मिलाकर खाते रहने से स्वप्नदोष तथा रक्तप्रदर में आशातीत लाभ होता है।