पाचन तंत्र ठीक तो सब ठीक

पाचन तंत्र ठीक तो सब ठीक



पाचन तंत्र हमारे शरीर के भीतर स्थित महत्त्वपूर्ण अंग है। यह हमारे भोजन को पचाता है एवं उसमें से मिले पौष्टिक तत्वों को शरीर को प्रदान करता है। यही सार तत्व हमारे सर्वांग के काम आता है इसीलिए पाचन तंत्र का सदैव सही रहना आवश्यक होता है। इसकी कार्य क्षमता की तीव्रता या धीमी गति की स्थिति में शरीरांगों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
उम्र के साथ पाचन तंत्र कार्यप्रणाली में व्यवधान के चलते उसकी पाचन क्षमता धीमी होने लगती है। 40 वर्ष की आयु के बाद स्त्री पुरूष दोनों की पाचन तंत्र कार्यप्रणाली के धीमी होने के कारण भोजन ठीक प्रकार से पचता नहीं और शरीर में अतिरिक्त चर्बी चढ़ने लगती है। इस आयु का व्यक्ति अपनी व्यस्त जीवन शैली एवं उम्र के कारण व्यायाम के लिए समय नहीं निकाल पाता है अतएव ऐसे समय में खानपान में उपयुक्त बदलाव लाकर पाचन तंत्र को सही रख स्वस्थ व सुडौल हो जा सकता है।


भोजन रेशेदार हो-
पालिश चावल एवं मैदे की चीजों के स्थान पर मोटे व साबुत अनाज एवं चोकरदार आटे का उपयोग करें। भोजन में सब्जी व सलाद को अधिक महत्त्व देें। मौसमी फलों का सेवन करें। तली भुनी चीजों की जगह पर सादा भोजन करें। ऐसे आहार से पेट नहीं फूलेगा। अपच या कब्ज नहीं होगा। शरीर हल्का लगेगा।


नमक को न करें
सोडियम की अधिकता के कारण पेट निकलता है। यह तोंद ही सभी बीमारियों का भंडार है। सोडियम हमें नमक के माध्यम से ज्यादा मिलता है, अतएव कम नमक वाला भोजन करें। भोजन में अतिरिक्त नमक न डालें। नमक की अधिकता वाली वस्तुएं अचार, पापड़, जंक फूड, डिब्बाबंद, बोतल बंद वस्तुएं उपयोग न करें।
सभी खाद्य पदार्थों में नमक प्राकृतिक रूप से होता है जो हमें दैनिक जरूरत के नमक की पूर्ति के लिए अपने आप पर्याप्त होता है।


मीठे से तौबा करें-
शक्कर से प्राप्त असली मिठास एवं कोल्ड ड्रिंक्स की नकली मिठास दोनों कैलोरी के भंडार हैं। ये स्वास्थ्यघाती हैं। शक्कर पाचन बिगाड़ता है और हड्डियों को निर्बल बनाता है जबकि नकली मिठास मुसीबत लाती है, अतएव इनसे बनी चीजों, कोल्ड ड्रिंक्स, मिठाई टाफी, चाकलेट, जैम जैली आदि से दूर रहें। असली मिठास शरीर के भीतर पहुंचकर बड़ी आंत में उपस्थित बैक्टीरिया को बढ़ाती है जिससे पाचन गड़बड़ाता कब्ज एवं डायरिया होता है। मीठे से वजन व मोटापा भी बढ़ता है। अतएव मेवों एवं फलों से प्राप्त मीठे का उपयोग करें।


पोटेशियम वाली चीजें लें-
सोडियम की भांति अल्प मात्रा में पोटेशियम भी जरूरी है। यह पपीता संतरा, केला, आलू, सेब आदि से मिलता है। यह शरीर से विषाक्त तत्व निकालता है। हृदय व रक्तचाप सही रखता है। यह पेट नहीं निकलने देता है।


कैंडी, सोडा, गम करें कम-
आजकल, कैंडी सोडा एवं गम जैसी पाश्चात्य चीजों का सेवन बढ़ गया है। इन्हें चूसने, चबाने, खाने से पाचन बिगड़ता है। हार्ड कंैडी को चूसने, च्युइंगम को चबाने, स्ट्रा के माध्यम से पेय पीने, जल्दी-जल्दी खाने एवं तेजी के साथ पानी पीने से पेट के अंदर बाहरी हवा पहुंच जाती है। यही वायु पाचन तंत्र के भीतर पहुंचकर पाचन को गड़बड़ाती है। कब्ज का कारण बनती है और पेट बाहर निकल आता है, अतएव पाश्चात्य चीजों से दूर रहें। भोजन व पानी धीरे-धीरे ग्रहण करें।



पेय पदार्थ लें-
हमें हर मौसम में शरीर की आवश्यकता के अनुसार बीच-बीच में पानी पीते रहना चाहिये। दैनिक 8 से 12 गिलास पानी धीरे-धीरे पिएं यह कब्ज दूर करता है, शरीर को सुडौल रखता है। पानी की अधिकता वाले सूप, फल एवं सब्जी जरूर खाएं। परंपरागत पेय जूस पिएं।


दही सब का मददगार-
दूध के खमीरीकरण से बना दही शरीर के सभी कार्यों को सही रखता है। यह पाचन तंत्र को सही रखता है। पेट की गड़बड़ी दूर करता है। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है। दूध, दही, चीज, पनीर छाछ सभी सेहत के लिए लाभदायी हैं। इन्हें भी भोजन में शामिल करें।


निष्कर्ष- भूख लगने पर ही सीमित मात्रा में ताजा, गर्म, सादा, सुपाच्य भोजन करें। अधिक समय तक भूखे न रहें। तेल, घी, नमक, शक्कर तली भुनी एवं जंक फूड व अप्राकृतिक चीजें कम उपयोग करें। फल, सब्जी सलाद खाएं। रायता, सूप, जूस व परंपरागत पेय पिएं। श्रम व व्यायाम करें किन्तु पेट के लिए दवा उपयोग न करें। अनावश्यक दवाओं का सेवन न करें। रात को जल्दी सोएं और सुबह जल्दी जागें। तनाव, चिंता से मुक्त अपनो के बीच हंसी खुशी जीवन बिताएं।