कल्याणकारी फल आंवला

कल्याणकारी फल आंवला



आंवला एक ऐसा अद्भुत रसायन फल है जो कायाकल्प करता है। इसके औषधीय गुणों के कारण ही इसे अमृतफल, धात्री, वयस्था, शिवा अमृता और आमलक या आमलकी नाम से पुकारा गया है। आयुर्वेद के आमलकी रसायन योग का उल्लेख तंत्रसार और सिद्ध योग-संग्रह में मिलता है जो अष्टांग हृदय और चरक संहिता पर आधारित है। आमलकी रसायन के सेवन से शरीर में युवाशक्ति, धारणाशक्ति, बुद्धिमता और ओज में वृद्धि होती है।


आयुर्वेद में आंवले से निर्मित विविध योगों द्वारा विभिन्न रोगों से मुक्ति पाने के लिये काफी वर्णन मिलता है। उदाहरण के लिये, भैषज्य रत्नावली में आमलकी कषाय, आमलकी क्वाथ, आमलकी रसायन, आमलक्यवलेह, आमलक्यादि क्वाथ, धात्रीघृतम् आदि आंवले से बनाई गई औषधियों का जिक्र मिलता है, जिनका गुल्मरोग, मूत्रकृच्छ, पाण्डुरोग, मस्तिष्क विकार आदि रोगों के उपचार में उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त त्रिफला के रूप में इसके उपयोग का विशेष महत्त्व है।


आंवला अम्ल गुण के कारण वायु को मधुर तथा शीत गुण के कारण पित्त को तथा कषाय गुण के कारण कफ को शांत करता है, अर्थात आवंला त्रिदोष नाशक है। रक्तशोधक, रूचिकारक, ग्राही तथा मूत्रल होने से आवंला वातरक्त, रक्तपित्त, रक्तप्रदर, बवासीर, अजीर्ण, अतिसार, प्रमेह, श्वास, कब्ज, पाण्डु और क्षय आदि रोगों का शमन करता है।


च्यवनप्राश जैसी ओज, बल और बुद्धिवर्धक औषधि में मुख्य रूप से आंवले का ही अधिक मात्रा में प्रयोग होता है। दूसरे शब्दों में यों कह सकते हैं कि आंवले में जीवनशक्ति (विशेष रूप से विटामिन सी) सर्वाधिक पाया जाता है। इसलिये इस गुणकारी पदार्थ का यथोचित सेवन बड़ा ही गुणकारक है। पद्मपुराण में कहा गया है कि आंवला वृक्ष लगाने से जन्मबंधन से मुक्ति होती है। इसका फल भक्षण करने से सभी पापों की निवृत्ति होती है। यह परम पवित्र है और शुभ है तथा भगवान वासुदेव को अत्यंत प्रिय है। इसके खाने से दीर्घायु, पान करने से धर्मसंचय, अलक्ष्मी का विनाश तथा स्नान करने से सभी ऐश्वर्र्यों की प्राप्ति होती है।



आज के मनुष्य का जीवन भागदौड़ भरा और संघर्षपूर्ण है। तनाव वर्तमान युग की देन है। तनाव और संघर्षपूर्ण भरे जीवन में लोगों के शरीर बड़ी जल्दी थक जाते हैं और शरीर के आसपास कई व्याधियां मंडराने लगती हैं। ऐसे में व्यक्ति शक्तिदायक टाॅनिक या औषधि ढूंढता है। ऐसे व्यक्तियों के लिये आंवले का नियमित प्रयोग निश्चय ही लाभकारी सिद्ध होगा क्योंकि आंवला दिल, दिमाग, फेफड़े, जिगर, आंतें, गुर्दे, पेशियां और स्नायुमंडल आदि सभी शारीरिक अंगों और धातुओं को शक्ति प्रदान करता है।


विटामिन सी और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण यह रक्त को शुद्ध कर सशक्त बनाता है। आँवले के प्रयोग से शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसके सेवन से रक्त शुद्ध होता है, इसलिये शारीरिक सौन्दर्य और आभा बढ़ती है। आयुर्वेद मनीषियों ने कहा है कि जितने अधिक रोग दूर करने की शक्ति आंवले में भरी हुई है उतनी संसार के किसी दूसरे फल में नहीं है।


आंवला युवा, वृद्ध और बालक, सभी के लिये समान रूप से हितकारी है। इसके सेवन से बालकों का शरीर व स्वास्थ्य तेजी से बढ़ता और सुधरता है। महिलाओं के प्रदर, मासिक विकारों और गर्भाशय के रोगों को दूर कर यह उनके शरीर को सुन्दर और सशक्त बनाता है। नेत्रों, बालों और मस्तिष्क के लिये आंवला विशेष रूप से गुणकारी है।


आंवले को किसी भी तरह से खायें, यह हर तरह से लाभदायक है। दिमागी काम करने वालों को तो इसका उपयोग हमेशा करना चाहिये। हर स्वास्थ्यप्रिय व्यक्ति के लिये आंवले का सेवन वरदान है। आंवला भावशुद्वि, धर्मशुद्धि और आरोग्यवृद्धि में सब तरह से सहायक होता है। इसीलिये यह धर्मग्रन्थों में पूज्य एवं आराध्य है। आयुर्वेद तो इसके गुणों के बखान से भरा पड़ा है।