घरेलू औषधि भी है अमरूद

घरेलू औषधि भी है
अमरूद



अमरूद में विटामिन ए, बी, और सी अधिक मात्रा में पाया जाता है। ये दो किस्मोें में होते हैं-सफेद गर्भवाले और लाल-गुलाबी गर्भवाले। इनमें सफेद किस्म अधिक मीठी होती है। कलमी अमरूद एक अच्छे किस्म का अमरूद होता है। ये बहुत बड़े होते हैं। इसमें से चार-पांच बीज मुश्किल से निकलते हैं। अमरूद इलाहाबाद और वाराणसी में अधिक पाया जाता है।


अमरूद अत्यंत शीतल, मीठा, कुछ खारा, कसैला, वीर्यवर्धक, कफकारक, वात, पित्त, तीक्ष्ण, पचने में भारी, उन्मादनाशक, भ्रम और मूर्छा को मिटाता है। इसके बीज कब्ज दूर करता है। अमरूद का कुछ समय तक निरंतर सेवन करने से तीन-चार दिनों में ही मलशुद्धि होने लगती है और कब्ज भी दूर होता है। कब्ज के कारण नेत्र दाह और शिरःशूल को भी अमरुद दूर करता है।



अमरूद का सेवन दोपहर के भोजन के बाद करना चाहिए। भोजन के एक दो घंटे के बाद एक या दो अमरूद खाने चाहिए। इससे शरीर को आवश्यक तत्व मिल जाते हैं।


इनको सुबह खाली पेट खाने से या अधिक मात्रा में खाने से वायु पैदा होती हैं, दस्त आने लगते हैं और बुखार भी आ जाता है। ताजे पके अमरूद को बिना छीले, काटे ही खाना चाहिए। अमरूद को छीलने या काटने से उसके गुण नष्ट हो जाते हैं।


ताजे और अच्छे किस्म के बड़े-बड़े अमरूद को लेकर चाकू से छिलका उतार कर, टुकड़े करके धीमी आंच पर पानी में उबालें। जब यह आधा पककर नरम हो जाए तो इसे आंच पर से उतार लें। साफ कपड़े में डालकर इसका पानी निकाल दें। इसके बाद तीन गुना चीनी लेकर चाशनी बनाकर उक्त टुकड़ों को इसमें डाल दें। फिर इनके ऊपर छोटी इलायची के दानों का चूर्ण और केसर इच्छानुसार डालकर मुरब्बा बना लें। ठंडा हो जाने पर इस मुरब्बे को शीशे की बोतल में भर करके, मुंह पर ढक्कन लगाकर आठ दस दिन तक रख छोड़िए। यह मुरब्बा दो-तीन तोला खाने से कब्जियत को दूर करता है।



हरे कच्चे अमरूद को थोड़े से पानी के साथ पत्थर पर पीसकर सुबह माथे पर जहां पर दर्द होता हो, वहां पर इसका लेप कर दें। दो-तीन घंटों में ही आधा सीसी का रोग मिट जाता है। यदि एक दिन में पूरा आराम न मिले तो दूसरे दिन फिर सुबह उक्त विधि से लेप को तैयार कर लगा लें। आधा सीसी रोग के लिए यह सर्वश्रेष्ठ औषधि है।


अमरूद के पत्तों की पुलटिस बनाकर रात को सोते समय आंख पर बांधने से दुखती आंखें ठीक हो जाती हंै और आंखों की लालिमा, सूजन आदि रोग भी ठीक हो जाते हैं। अमरूद के बीज पीसकर, पानी के साथ मिलाकर इसमें चीनी डालकर पीने से पित्त का विकार शांत हो जाता है।