गाजर शीत ऋतु का बेमिसाल टॉनिक

गाजर शीत ऋतु का बेमिसाल टॉनिक



गाजर केवल तरकारी या सलाद नहीं बल्कि इसमें अनेक औषधीय गुण भी छिपे हुए हैं। वैद्यों व हकीमों का यह मानना है कि गाजर पहले दरजे में गरम तथा पेशाब लाने वाली, कफ निकालने वाली, दिमाग को बल देने वाली, वीर्यवर्धक तथा मन को प्रसन्न रखने वाली होती है। औषधीय गुणों के कारण ही इसका प्रयोग दाद, खुजली, टांसिल, गलगंड, कैंसर आदि अनेक बीमारियों में प्रयोग किया जाता है।


आयुर्वेद के मतानुसार गाजर मधुर, उष्ण, अग्निदीपक, रूचिकर, चक्षुष्य, मूत्राल, ग्राही तथा कुछ अंश में कटु होती है। गाजर के रस में प्राप्त ‘टाॅकोनिकिन‘ नामक तत्व मानव शरीर में बनने वाले इंसुलिन से मिलता-जुलता है जो मधुप्रमेह के रोगियों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है। यह भगंदर, कृमि, संग्रहणी आदि रोगों में विशेष लाभदायक है तथा विशेष मात्रा में खाने से पित्तकारी भी होती है।


भुनी हुई गाजर के रस में गुलाब-जल, मिश्री या अर्क केवड़ा मिलाकर सेवन करने से हृदय की दुर्बलता दूर होती है। गाजर का पाक व मुरब्बा शरीर को पुष्ट बनाता है तथा यौन शक्ति को ऊर्जा प्रदान करता है। गाजर के स्वरस का कुछ दिनों तक लगातार सेवन करते रहने से दमा, खांसी, पथरी, पेशाब की जलन, शीघ्रपतन आदि अनेक बीमारियों में प्रत्यक्ष लाभ मिलता है।



गाजर में एक विशेष गुण यह भी है कि इसके सेवन करने से नवीन रक्त का निर्माण शीघ्रता एवं प्रचुरता के साथ होता है। महिलाएं जो अत्यधिक मासिक होने के कारणों से या अन्य कारणों से अनीमिया (रक्ताल्पता) की गिरफ्त में आ जाती हैं उन्हें नियमित रूप से गाजर के जूस का प्रयोग करते रहना चाहिए।


गाजर के नियमित सेवन से अनेक रोगों के रोगाणुओं के आक्रमण से बचा जा सकता है। मलेरिया तथा अन्य बुखारों के लिए यह अनुपम औषधि मानी जाती है। इसके प्रयोग से त्वचा साफ व सुन्दर बनती है तथा सुन्दरता, कान्ति, तेज, बल व चुस्ती में बढ़ोत्तरी होती है। खून में बढ़ी हुई अम्लता को साफ करके यह आंखों के संक्रमण के साथ-साथ गले तथा श्वास नली को भी रोगाणुओं के संक्रमण से बचाती है।


दूध में बना हुआ गाजर का हलुआ लगातार शीतऋतु में खाने से बुद्धि और स्मरणशक्ति में वृद्धि प्रदान करने वाली है। गाजर के रस को प्रतिदिन एक कप की मात्रा में पीते रहने से टांसिल तथा गलगंड में अत्यधिक लाभ होता है। दोपहर में गाजर के रस को पीना लाभदायक माना जाता है।


दुबले एवं शुक्र दौर्बल्य से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी गाजर प्रकृति प्रदत्त अनमोल तोहफा है। जो व्यक्ति शीघ्र स्खलित हो जाते हैं उन्हें कुछ दिनों तक गाजर का पाक या खीर का लगातार सेवन करते रहना चाहिए। शहद में तैयार किया गया गाजर का मुरब्बा अत्यधिक कामोत्तेजक होता है। बच्चों को गाजर का रस पिलाते रहने से शीत-ऋतु की बीमारियों से बचाव होता है और उनके दांत समय से व आसानी से निकल आते हैं। इन्हीें सब गुणों के कारण गाजर को ‘फलों की रानी‘ कहकर भी पुकारा जाता है।