चीनी - सेहत के लिए ठीक नहीं

चीनी - सेहत के लिए ठीक नहीं



खाने की हर चीज में मिठास उसके स्वाद को बढ़ाती है। खाने की करीब-करीब सभी चीजों मंे मिठास होती है। किसी में मिठास कम होती है तो किसी में ज्यादा। इस मिठास को प्राकृतिक मिठास कहते हैं। चीनी में दरअसल कार्बोहाइड्रेट का एक हिस्सा होता है। जब यह शरीर को जरूरत से ज्यादा मिलती है तो शरीर में यह कार्बोहाइड्रेट के रूप में इकट्ठी हो जाती है। बाद मंे यही वसा बन जाती है।


शरीर में मौजूद पैंक्रियाज का काम वसा के रूप में एकत्र चीनी को शरीर की जरूरत के मुताबिक प्रयोग करने का होता है। चीनी शरीर को ऊर्जा देने का काम करती है। जब पैंक्रियाज सही से काम नहीं करता तो चीनी का शरीर में सही इस्तेमाल नहीं हो पाता जिससे मधुमेह हो जाता है। मधुमेह का डर ही चीनी को बेस्वाद बनाने लगा है। इसीलिए कहा जाता है कि चीनी स्वाद के लिए तो अच्छी पर सेहत के लिए खराब है।


असल में चीनी सेहत के लिए हानिकारक नहीं है। चीनी मुख्य रूप से गन्ने और चुकंदर से बनती है। गन्ने से चीनी सबसे ज्यादा मात्रा में बनती है। भारत चीनी पैदा करने वाले प्रमुख देशों में से एक है। यहां चीनी का प्रति व्यक्ति प्रयोग भी सबसे ज्यादा होता है।



चीनी में प्रमुख तौर पर सुक्रोज, लैक्टोज और फ्रक्टोज नामक तत्व पाए जाते हैं। चीनी में कैलोरी सबसे अधिक पाई जाती है। 10 ग्राम चीनी में 387 कैलोरी होती हंै। शरीर में चीनी की सबसे अधिक जरूरत मस्तिष्क को होती है। शरीर को चीनी दो तरह से मिलती है। एक तो वह चीनी जो रसायन वाली चीनी होती है जो हमें चाय, मिठाई, खीर जैसी खाने की चीजों से मिलती है। यह खाने में मिठास को बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है। रसायन वाली चीनी ही सेहत के लिए नुकसानदायक होती है। दूसरी तरह की प्राकृतिक चीनी होती है जो फल और खाने के दूसरे स्रोतों से मिलती है। यह चीनी नुकसान नहीं करती।


रासायनिक चीनी के ज्यादा सेवन करने और शारीरिक गतिविधियां कम करने के चलते मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। अगर रासायनिक चीनी के साथ-साथ व्यायाम पर ध्यान दें, शरीर में ज्यादा कैलोरी जमा न होने दें तो मधुमेह रोग की संभावना कम हो जाती है। चीनी स्वाद को बढ़ाती है। यह सेहत के लिए उतनी नुकसानदेह नहीं है जितनी यह बदनाम है। मधुमेह के लिए हमारी जीवन शैली जिम्मेदार है। इसमें तनाव महसूस करना, व्यायाम न करना, असमय सोना-जागना प्रमुख हैं। यह जरूर है कि उम्र बढ़ने के साथ शरीर में फैट का जमाव बढ़ जाता है। ऐसे में आप रासायनिक चीनी की जगह पर प्राकृतिक चीनी या फिर चीनी रहित गोलियों का प्रयोग भी कर सकते हैं।


खाने की लगभग सभी चीजों में चीनी होती है। ऐसे में कोशिश यह होनी चाहिए कि रासायनिक चीनी का प्रयोग कम से कम किया जाए। इसके साथ ही साथ अपनी जीवन शैली में भी सुधार करें। अगर व्यक्ति खाने में रसायनयुक्त सफेद चीनी का इस्तेमाल बंद कर दे तो मधुमेह का खतरा कम हो सकता है।



फलों का जूस पीने के बजाय साबुत फल के सेवन की आदत डालनी चाहिए। इससे पाचन प्रक्रिया बेहतर रहती है। जूस के मुकाबले फलों का खाना सेहत के लिए ज्यादा बेहतर होता है। इससे शरीर में वसा जमा नहीं होती। ऐसे में चीनी की मिठास के साथ सेहत का ध्यान भी रखा जा सकता है। फलों से हमें जो प्राकृतिक चीनी मिलती है वह काफी लाभकारी होती है। खाने के व्यंजन तैयार करते समय भी हमंे चीनी की मात्रा और प्रकार का ध्यान रखना चाहिए। खाने की तैयार होने वाले मीठे व्यंजनों में चीनी का बेहद संतुलित प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ अगर प्राकृतिक चीनी का प्रयोग हो सके तो बेहतर उपाय है।


रासायनिक चीनी की जगह अब गुड़ का प्रयोग भी मिठाई बनाने में होने लगा है। गन्ने के गुड़ के साथ ही साथ खजूर का गुड़ भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा मीठे के रूप में शहद का प्रयोग बढ़ गया है। खजूर या गन्ने के गुड़ के साथ परेशानी कई बार उसके रंग की होती है। सफेद रासायनिक चीनी से मधुमेह का सबसे अधिक खतरा होता है। मधुमेह खुद में भले ही कोई रोग न हो पर यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देती है जिससे कई रोग शरीर को घेर लेते हैं। ऐसे में चीनी का प्रयोग बंद करने की जरूरत नहीं है। जरूरत इस बात की है कि खाने पीने और अपनी जीवनशैली में सुधार किया जाए। इससे आपको चीनी छोड़ने की जरूरत नहीं रह जाएगी।


सफेद रासायनिक चीनी का प्रयोग बहुत कम करना चाहिए। खाने के व्यंजन इस तरह के हों जिसमें गन्ने और खजूर के गुड़ का प्रयोग किया गया हो। खाने की दुनिया में बहुत क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। अब चीनी रहित मिठाई तक तैयार होने लगी है। ठंडे पेय पदार्थों में कम कैलोरी वाली बिना चीनी का प्रचलन बढ़ गया है।


मिठाई को बनाने में कृत्रिम चीनी का प्रयोग बढ़ रहा है। मेवा से तैयार होने वाली मिठाई का स्वाद बिना मधुमेह के खौफ के ले सकते हैं। अंजीर, खजूर और सूखे मेवों के प्रयोग से बनने वाली मिठाइयों ने अपनी अलग पहचान बनाई है। ये नुकसान नहीं करतीं। इनमें नट बेरी, रोज बेरी, डेट बेरी आदि प्रमुख मिठाइयां शामिल हैं। अंजीर और खजूर में मिठाई का गुण तो होते ही हंै, ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती हैं।


बंगाल की मशहूर मिठाई ‘संदेश‘ भी अब खजूर के गुड़ से तैयार की जा रही है। अच्छी बात यह भी है कि लोग इसका सेवन बहुत कर रहे हैं। बंगाल की मिठाइयां मशहूर हैं। इनमें चीनी के प्रभाव को कम करने के लिए खजूर के गुड़ का प्रयोग करना शुरू किया गया। लोगों ने इसे बहुत पसंद किया है। धीरे-धीरे हर बंगाली मिठाई खजूर के गुड़ में बनानी शुरू की गई। इसका असर यह पड़ा कि लोगों में मधुमेह का खतरा कम हो गया। अब मधुमेह के मरीज भी त्योहारों में मिठाई खाने का आनंद ले सकते हैं। वे त्योहारों की खुशियां मिठाई के संग मना सकते हैं।