फैशन के चक्कर में मजाक न बनें

फैशन के चक्कर में मजाक न बनें


महिलाओं और फैशन का अटूट नाता है। आज पत्रिकाओं में माॅडल जो पहने दिखती हैं, वह सब फैशन है। यह तो रोज बदलता है और महिलाएं इनके पीछे बुरी तरह पड़ी रहती है। युवा वर्ग तो फैशन का दीवाना है ही मगर हमारी मम्मियां, चाचियाँ सभी इस होड़ में हैं। परदे पर जो दिखता है या मैगजीन में जो छपता है वह वास्तविक जिन्दगी में पूरी तरह लागू नहीं किया जा सकता। कुछ हद तक ही वह फैशन हमारी जिन्दगी में उतर सकता है। अति उसकी भी बुरी ही होती है।




अव्वल तो वह फैशन उम्र और अपने शरीर की बनावट को ध्यान में रखकर अपनाना चाहिए। ऐसा न हो कि उम्र तो चालीस के पार हो और फैशन टीनएजर्स वाले। बड़ी उम्र की हीरोइनों की नकल करके भी उनका पहनावा बड़ी उम्र की घरेलू महिलाओं पर नहीं जम सकता। बड़ी उम्र की महिलाओं के लिए फैशन तय सीमाओं में बंध जाता है। नानियां, दादियां कभी भी स्टाइलिश जूडे़ या चोटी में अच्छी नहीं लग सकती। वे भारी-भरकम साड़ियां सीधे पल्ले के साथ पहने के साथ पहनें तो ही जंचती हैं।




बहू-बेटियों के लिए फैशन के कई पर्याय होते हैं। वे अपनी शारीरिक संरचना के अनुसार विशेष अवसर के लिए विशेष परिधान चुन सकती हैं, कोई भी हेयर स्टाइल अपना सकती हैं जो उनके फिगर के अनुसार उन पर सूट करे। नन्ही बिटिया के लिए पेरेलल्स आदि परिधान ही अच्छे लगेंगे।




उम्र और रंग रूप के साथ-साथ उस माहौल एवं अवसर का ख्याल रखें जिसके लिए आप तैयार हो रही हैं। यदि किसी शादी या रिसेप्शन में जाना हो तो ज्यादा भारी परिधान एवं ज्वेलरी जंचेगी। किसी पार्टी अथवा छोटे कार्यक्रम में आप भी सादे ढंग से जायें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। आप कोई भी हल्के वर्क की साड़ी या सलवार-कमीज पहन कर भी जा सकती हैं। रंगों से इतना फर्क नहीं पड़ता। मेकअप भी लाइट करें। हेयर स्टाइल में प्रयोग कर सकती है। ज्वेलरी भी भारी न डालें। सादे समारोहों में ज्यादा भड़कीला बनकर नहीं जाना चाहिए।


बड़ी उम्र की महिलाओं को फैशन के लिए प्रयोगधर्मी नहीं होना चाहिए। साड़ी के नये-नये स्टाइल, ब्लाउज में नये-नये प्रयोग नई-नवेली बहुओं पर ही जचते हैं। उनकी सासुओं को उनकी इससे बराबरी नहीं करनी चाहिए। बहुएं आदि किसी भी हेयर स्टाइल को अपना सकती हैं मगर बड़ी-बड़ी बूढ़ियों को सादा जूड़ा अथवा सादी चोटी ही जमेगी।



उन्हें भड़कीला मेअकप भी नहीं करना चाहिए। गहरे रंग की लिपस्टिक मस्कारा, आईलाइनर आदि इस तरह के भड़काऊ काॅस्मेटिक्स से दूर ही रहें। ये सब नई-नई बहु-बेटियों पर ही फबता है। किशोरियों पर भी भड़काऊ कास्मेटिक्स अच्छे नहीं लगते। उनके कपड़ों का चुनाव करते समय भी उनकी मम्मियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि कहीं यह उन पर भद्दा न लगे। बड़ी लड़कियों को फैशन के चक्कर में मिनी स्कर्ट आदि नहीं पहनायें। ये सिर्फ परदे पर ही अच्छे लगती है। रियल लाइफ में ये फूहड़ता का ही एहसास कराते हैं।


फैशन को बढ़ावा देने में फिल्मों का काफी बड़ा योगदान है। किस हीरोइन ने किस फिल्म में क्या स्टाइल अपनाया है और क्या पहना है, वही फैशन बन जाता है। एक से दूसरे-दूसरे से तीसरे घर में यह फैशन बढ़ता चला जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि हीरोइनों के सभी पहनावे आम जिन्दगी में अपनाए जा सकते हों। इसलिए सोच-समझकर ही फैशन को अपनाना चाहिए।