मूत्र मार्ग संक्रमण


महेश पाराशर
यह किसी भी आयु की स्त्री या पुरूष को हो सकता है। इसके शिकार बच्चे या बड़े कोई भी हो सकते हैं किन्तु यह लड़कों एवं पुरूषों की तुलना में लड़कियों एवं महिलाओं को ज्यादा होता है। अपनी स्त्रियोचित शारीरिक संरचना के कारण इससे ज्यादा संक्रमित एवं परेशान होती हैं।
लड़कों एवं पुरूषों को यह संक्रमण हो जाए तो पीड़ा एवं इलाज तकलीफदायक होता है जबकि लड़कियां एवं महिलाएं व्यक्तिगत सफाई एवं दवाओं से ठीक हो जाती हैं किन्तु संक्रमण के लंबे समय तक बने रहने पर किडनी तक मंे संक्रमित हो जाने का खतरा बढ़ जाता है।
यूरिनरी टैªक्ट इंफेक्शन अर्थात् मूत्रमार्ग संक्रमण निजी शारीरिक अंगों की नियमित एवं ठीक से साफ-सफाई नहीं करने सफाई के गलत तरीके, आंतरिक वस्त्रों के अनुचित रहने एवं पब्लिक टायलेटों के उपयोग करने वालांे को होता है। इससे कम उम्र की लड़कियां एवं महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं।
यूरिनरी इंफेक्शन की स्थिति में यूरिनरी ट्रैक्ट प्रभावित होता है। यूरिनरी ट्रैक्ट में यूरेथरा यानी मूत्र मार्ग, मूत्राशय, यूरेटा और किडनी आते हैं। यह संक्रमण शुरू तो यूरेथरा से होता है पर ध्यान न देने पर किडनी भी इससे प्रभावित हो सकती है।
यह नारियों को उनकी शारीरिक संरचना के अनुसार ज्यादा होता है। उनका मूत्रमार्ग काफी छोटा होता है जिसके कारण बैक्टीरिया मूत्रमार्ग में जल्दी पहुंच जाता है। वहीं इनके जननांग और मल निष्कासन मार्ग बहुत आसपास होते हैं अतः अनुचित सफाई की स्थिति में वहां पर विद्यमान बैक्टीरिया जल्द यूरेथरा में पहुंच जाते हैं।
शारीरिक प्रणाली छह प्रमुख अंगो दो वृक्क (किडनी), दो मूत्रवाहिनियां (यूरेटर) मूत्राशय और यूरेथरा (यूरिथ्रा) से मिलकर बनी होती है। इसमें सबसे पहले गुर्दा रक्त की सफाई करता है। सफाई के बाद जो गंदा तरल पदार्थ निकलता है वह मूत्रवाहिनी के रास्ते मूत्राशय में पूरी तरह भर जाता है। तब यूरेथरा पर दबाव पड़ता है। इसी के कारण मूत्र त्याग की जरूरत महसूस होती है। इसी यूरिनरी टैªक्ट में संक्रमण होने से तकलीफ का सामना करना पड़ता है।


लक्षण -
इससे मरीज को बार-बार पेशाब होता है। पेशाब करते हुए दर्द व जलन होती है। मरीज को पेट में दर्द होता है। पेशाब बदबूदार होता है। बिस्तर में पेशाब तक हो सकता है। संक्रमण की तीव्रता की स्थिति में ज्वर चढ़ जाता है। छोटे बच्चे पेशाब करते समय दर्द से रोते हैं। छोटे बच्चों को बुखार, उल्टी भूख न लगना शिथिलता या वजन न बढ़ने की शिकायत होती है।


कारण -
यह संक्रमण लड़कियों एवं औरतों को मूत्र व मल मार्ग समीप होने के कारण ज्यादा होता है। साफ-सफाई ठीक से नहीं होने पर मल के जीवाणु आसानी से मूत्र मार्ग को संक्रमित कर देते हैं। ये लोक लज्जावश ज्यादा देर तक पेशाब रोक कर रखती हंै इसलिए भी इन्हें संक्रमण होता है।
इसके अलावा अंतर्वस्त्रों में लगे तेज साबुन से जलन व खुजली, पेट के कीड़े, पथरी, कब्ज आदि से भी यह संक्रमण होता है। गंदे पब्लिक टायलेटों के उपयोग से भी यह होता है। विवाहोपरांत भी यह होता है। इसे हनीमून सिसटाइटिस कहा जाता है। यह गर्भावस्था में एवं शारीरिक व हार्मोंस परिवर्तन से भी होता है। कुछ का मीनोपाज के बाद भी होता है। संक्रमण के बढ़ जाने पर किडनी प्रभावित होती है जिससे दोनों गुर्दे एवं पीठ में दर्द होता है।


जांच व उपचार -
पेशाब की जांच एवं यूरिनरी सेक्शन की अल्ट्रासाउंड जांच के बाद इसके संक्रमण उसकी स्थिति व तीव्रता का पता चलता है। यह इंजेक्शन एवं एंटीबायोटिक्स दवा से जल्द ठीक हो जाता है। दवा उपचार आरंभ हो जाने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। अंर्तवस्त्रों को साफ करने, तेज साबुन तेज डिटरजेंट का उपयोग न कर, नहाने का साबुन उपयोग करें। अंतर्वस्त्रों में कुछ भी सुगंधित पाउडर, सेंट, डियो आदि न लगाएं।
नहाने के बाद पेशाब करें। मल त्याग के बाद सामने से पीछे की तरफ धोएं। सदैव धुले व साफ सूती अंतर्वस्त्र पहनें। पेशाब न रोकें। संसर्ग के बाद पेशाब व सफाई जरूर करें। मूत्र त्याग कर सोने जाएं।