गर्दन में जब हो दर्द

  • गर्दन  में जब हो दर्द

  • आज के तनावपूर्ण जीवन में गर्दन की पीड़ा अर्थात् ‘सरवाइकल स्पाण्डिलाइसिस’ आम बीमारी के रूप में पनपती जा रही है। यह बीमारी गर्दन की नसों पर दबाव पड़ने के कारण हुआ करती है। गर्दन के ऊपर की सात कशेरूकाएं सरवाइकल रीजन में होती हैं जिनमें घिसावट होने या वहां की कशेरूकाओं में अकड़न होने से यह दर्द पैदा होता है।
    इस दर्द के शुरू होते ही उठने, बैठने, लेटने और चलने-फिरने में भी पीड़ा होती है। सिर को दाएं-बाएं घुमाने पर अकड़न और दर्द के साथ कड़कड़ाहट की आवाज भी सुनाई देती है। सिर दर्द के साथ-साथ चक्कर आना, कमजोरी महसूस करना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना, उल्टी होना आदि लक्षण शुरू हो जाते हैं। गर्दन घुमाने और झुकाने पर काफी पीड़ा महसूस होती है। गले, सिर के पीछे और भुजाओं में जलन होती है। औरतों के स्तन अकड़ जाते हैं। किसी काम में रोगी का मन नहीं लगता।
    सरवाइकल स्पाण्डिलाइसिस रोग के कारण दिमाग में खून ले जाने वाली खून की नलियों में कुछ समय के लिए रूकावट आ सकती है। इसके लगातार रहने पर अचानक हाथों में भी तेज़ दर्द होने लगता है। लापरवाही से पेशियों में कमज़ोरी आने के साथ-साथ पक्षाघात भी हो सकता है। नाड़ी पर दबाव पड़ने के कारण गले (गरदन) से शुरू होकर कंधे से होता हुआ पैरों के अंगूठे तक इसका दर्द महसूस होता है।
    मोटे तकिए के प्रयोग से, अधिक बोझ उठाने से, अधिक झुककर काम करने से, लेटकर पढ़ने से गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है तथा दर्द शुरू हो जाता है। गर्दन का कैंसर, गर्दन की हड्डियों की टी.बी., फ्रेक्चर, स्नायुतंत्र में संक्रमण, चोट आदि कारणों से भी गर्दन में दर्द रहने लगता है।
    गर्दन में लगातार दर्द रहने पर अति शीघ्र चिकित्सक को दिखाना चाहिए। चिकित्सकीय परीक्षणों के बाद ही यह तय हो पाता है कि दर्द किस कारण हो रहा है। अगर दर्द होने का कारण कोई गंभीर बीमारी न होकर सामान्य है तो उसे व्यायाम, योगासनों एवं घरेलू उपचारों से भी ठीक किया जा सकता है। सामान्य गर्दन के दर्द में निम्नांकित उपचार कारगर होते हैं -

  • हल्दी का चूर्ण (डस्ट) एवं सफेद प्याज़ के रस को मिलाकर थोड़ा गर्म कर लें। इसे गरदन पर हल्के हाथों से लगाकर गर्दन को धीरे-धीरे दायें-बाएं घुमाने का प्रयास करें।

  • भुजंगासन, उत्तानपादासन का अभ्यास करके गर्दन में आयी मोच को ठीक किया जा सकता है। शवासन की स्थिति में रहकर धीरे-धीरे सांसों को छोड़ने पर भी दर्द हल्का होता है।

  • गर्दन सीधी रखकर दोनों भुजाओं को ऊपर की ओर उठाते हुए धीरे-धीरे कमर के भाग को आगे की ओर झुकाने पर चढ़ी हुई नस अपने स्थान पर आ जाती है तथा दर्द कम हो जाता है।

  • हींग एवं कपूर समान मात्रा में लेकर सरसों तेल में फेंट कर क्रीम की तरह बना लें। इस पेस्ट को गर्दन में लगाकर हल्के हाथों में मालिश करने पर दर्द आराम हो जाता है।

  • ऊंचे तकिये पर सोने से गर्दन का दर्द बढ़ सकता है अतः कठोर बिस्तर पर सोना तथा कम ऊंचा तकिया लगाकर गर्दन के आकस्मिक दर्द से बचा जा सकता है।