डेंगू के डंक का बुखार


शैली शर्मा
डेंगू बुखार मच्छरों के माध्यम से फैलने वाला एक रोग है। यह डेंगू नामक वायरस के कारण होता है। साधारण बोलचाल की भाषा में इससे होने वाले बुखार को लंगड़ा या हड्डी तोड़ बुखार कहा जाता है। मच्छर के काटने के माध्यम से मिले डेंगू वायरस जो बुखार चढ़ाता है, उसमें पीड़ित के शरीर व जोड़ों में दर्द होता है। यह तीव्र बुखार के रूप में चढ़ता है और अत्यधिक शरीर दर्द एवं सिर दर्द होता है।
समुद्र किनारे, नाली, कूलर, टायर या गड्ढ़ों में लंबे समय से जमा पानी में डेंगू वायरस का संवाहक मादा एडीज मच्छर पनपता है और इसे फैलाता है।
इसका प्रभाव मलेरिया के समान किंतु तीव्र व अधिक तड़पाने वाला होता है। यह पीड़ित व्यक्ति का दम बिगाड़ देता है। उसे निढाल कर देता है।


प्रकार व प्रभाव:-
डेंगू बुखार तीन प्रकार का होता है। क्लासिक अर्थात साधारण डेंगू बुखार जो अपने आप ठीक हो जाता है। इससे पीड़ित की मौत नहीं होती किंतु डेंगू का हेमरेजिक एवं शाक सिंड्रोम नामक प्रकार जल्द उपचार नहीं कराने पर जानलेवा सिद्ध हो सकता है।
डेंगू का वायरस मच्छर काटने पर उसके माध्यम से फैलता है। यह डंक मारने के 3 से 5 दिनों के भीतर बुखार चढ़कर एवं जोड़ों में दर्द प्रकट कर अपना लक्षण दिखाने लगता है। इसकी संक्रामक अवधि 3 से 10 दिनों तक हो सकती है। पीड़ित की डाॅक्टरी जांच व रोग की पहचान समय पर करना जरूरी होता है।


लक्षण:-
ठंड के साथ तेज बुखार चढ़ना, सिर, मांसपेशियों तथा सभी जोड़ों में दर्द होना, कमजोरी लगना, मूत्रा में कमी, गले में दर्द, मुख का स्वाद बिगड़ जाना, शरीर में दर्द होना, मरीज का दुखी होना आदि लक्षण एक साथ दिखने लगते हैं। बुखार अत्यंत तेज 102 से 104 तक पहुंच जाता है और नाड़ी की गति धीमी हो जाती है।


उपचार:-
पीड़ित की डाॅक्टरी जांच करा कर दवा दें। उसे भोजन जरूर कराएं। यदि बुखार तेज हो तो पानी से शरीर में स्पंज कर उसे उतारने का प्रयास करें। डाॅक्टर के निर्देश पर रोगी की देखभाल, उपचार घर में की जा सकती है। प्रारंभिक चरण में पकड़ में आ जाए तो यह बीमारी जल्दी एवं अपने आप ठीक हो जाती है।
कहीं भी पानी को लंबे समय तक जमा होने एवं मच्छर को पनपने न दें। मादा एडीज मच्छर लम्बी उम्र के बाद इस डेंगू वायरस का संवाहक बनता है। यह मच्छर एकदम काला होता है। पैरों में धारियां होती हैं इसलिए इसे टायगर मच्छर भी कहा जाता है।